Smart Strategy of Modi ji - Mexico to buy clothes worth 10 Billion from India
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Mexico offers a lot of potential for Indian apparel exporters: Indian ambassador
Indian envoy sees scope for higher apparel exports to Mexico
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References -
https://knnindia.co.in/news/newsdetails/sectors/mexico-offers-a-lot-of-potential-for-indian-apparel-exporters-indian-ambassador
https://www.fibre2fashion.com/news/textiles-import-export-news/indian-envoy-sees-scope-for-higher-apparel-exports-to-mexico-272522-newsdetails.htm
जब भी कभी हम North अमेरिका की बात करते हैं, तो हमारा फोकस रहता है, अमेरिका और कनाडा पर. लेकिन इन दोनों देशो के साथ एक और देश है मैक्सिको. जिसके साथ व्यापर करने से भारत को हर साल 1 बिलियन डॉलर के अराउंड व्यापारिक लाभ होता है.
अभी कल ही तो हमने बात की थी, की किस प्रकार अमेरिकन प्रतिबंधों के कारण चीन को भारत से कॉटन यार्न खरीदना पड़ रहा है, और इससे बने कपडे चीन अमेरिका को बेच रहा है. तो हम सभी का कहना था, की भाई, जब कपडे खरीदने अमेरिका को ही है. तो हम चीन को कॉटन यार्न बेचने के बजाये सीधे अमेरिका को ही कपडे क्यों ना बेंचे.
जबकि यह बात बेहद लॉजिकल थी, लेकिन दोस्तों कोई भी सप्लाई चैन ना तो एक दिन में अचानक से बनती है, और ना ही बिगड़ती है. कहने का मतलब यह है, की अमेरिका को कपडे बेचना भारत के लिए विकल्प पक्के से है, लेकिन उस विकल्प को भुनाने के लिए हमें करनी होगी मेहनत.
इसी बैकग्राउंड में मेक्सिको हर साल लगभग 10 हज़ार मिलियन डॉलर के कपडे इम्पोर्ट करता है, यहाँ तक की कोरोना के चलते मेक्सिको ने 8 हज़ार मिलियन डॉलर के कपडे इम्पोर्ट किये हैं, जिसके सामने भारत महज 381 मिलियन डॉलर के कपडे मेक्सिको को एक्सपोर्ट करता है.
कहने का मतलब यह है, की कपडे निर्यात करने के लिए मेक्सिको भारत के लिए एक बहुत बड़ा अवसर है. क्योकि अभी हमारा हिस्सा इस मार्किट में लगभग ना के बराबर है.
अब सवाल उठता है, की आखिर ऐसा क्यों है, की भारत मेक्सिको के कपडा मार्किट में अपनी धाक नहीं जमा पाया. तो इसका जवाब यह है, की भारत से होने वाले टोटल एक्सपोर्ट में 85 परसेंट कॉटन के कपड़ों का हिस्सा होता है, इसके ठीक विपरीत ग्लोबल मार्किट में 85% हिस्सा है, मैन मेड फाइबर जैसे की पॉलिएस्टर नायलॉन इत्यादि का.
सरल सब्दो में इसका मतलब यह है, की जहाँ ग्लोबल डिमांड मुख्या रूप से मैन मेड फाइबर के कपड़ो की है, वही भारत कॉटन के कपडे निर्यात करता है. पॉइंट सिंपल है, ग्लोबल डिमांड और इंडियन सप्लाई मैच नहीं खा रही है.
जी हाँ दोस्तों हम इसी दिक्कत का सामना कर रहे हैं मेक्सिको में. मेक्सिको को हम 10 तरह के कपडे एक्सपोर्ट करते हैं, जिनमे से 9 कपडे कॉटन के होते हैं, और मात्रा 1 मैन मेड फाइबर के कपडे होते हैं, अब आप ही बताएं, जब हम मैन मेड फाइबर के कपडे मेक्सिको को बेच नहीं रहे हैं, तो वह भला खरीदेगा क्यों?? बेहद सरल सब्दो में जब डिमांड आम की है, तब यदि हम अंगूर बेचेंगे तो काम कैसे चलेगा.
इसी एक कमी को पूरा करने के लिए मोदी सर्कार ने लांच की है, PLI स्कीम, जिसके तहत 40 मैन मेड फाइबर कपड़ों और 10 टेक्निकल टेक्सटाइल्स के लिए सर्कार सब्सिडी मुहैया करवा रही है. ताकि भारत वह एक्सपोर्ट करे, जिसे दुनिया इम्पोर्ट कर रही है.
भले ही कागज पर PLI स्कीम घरेलु उत्पादन के लिए है, लेकिन यह बात स्वाभाविक है, जब एक बार प्रोडक्शन कैपेसिटी खड़ी हो जाएगी, तो लोकल डिमांड के साथ साथ ग्लोबल डिमांड को भी पूरा किया जा सकता है.
क्रिस्टल क्लियर है, मोदी सर्कार की निगाहे कहीं पर हैं, और निशाना कहीं और. तभी तो PLI स्कीम भारत में लांच हुई है, लेकिन मेक्सिको में भारत के राजदूत माहौल बना रहे हैं, की भाई हम भी वह कपडे बना सकते हैं, जिन्हे दुनिया पहनती है.
वैसे भी यह सब कॉमन सेंस ही है, जिसके बल पर हम मेक्सिको को वर्तमान 381 मिलियन डॉलर कपड़ों की जगह भविस्य में 10 हज़ार मिलियन डॉलर के कपडे तक बेच सकते हैं. यहाँ पर क्लियर करना जरूरी है, की हम यह नहीं कह रहे हैं, की PLI स्कीम के बल पर मेक्सिको के कपड़ा मार्किट का भारत बेताज बादशाह बन जायेगा, हम सिर्फ यह दर्शाना चाह रहे हैं, की मेक्सिको हमारे लिए एक बहुत बड़ा मौका है, और इसे भुनाने की कोसिस बराबर की जा रही है.
यह प्रयास कितने सफल होंगे, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन हम सभी ने देखा है, की कोरोना के चलते कुछ ही महीनो में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टेक्निकल टेक्सटाइल का उत्पादक देश बन गया. हमने मौके पर चौका लगाया, तो टेक्निकल टेक्सटाइल में भारत बन गया जीरो से हीरो. इसलिए हमें कोई शक शुबा नहीं है, की भारत मेक्सिको में कपड़ा मार्किट में धूम मचा पायेगा या नहीं.
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