भारत को लेकर रूस अफ़ग़ानिस्तान के बीच ठनी, Indian Foreign Policy


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It was a mistake not to invite India to Moscow talks, says Afghan Foreign Minister

India not part of Russian meet on Afghanistan

India can ‘eventually’ join Afghan peace plan: Russia

Russia envoy suggests interim government in Afghanistan

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References -

https://www.thehindu.com/news/national/it-was-a-mistake-not-to-invite-india-to-moscow-says-afghan-foreign-minister/article34152830.ece

https://apnews.com/article/peace-process-afghanistan-moscow-kabul-taliban-b842bfee387bbf3f08d404d285c39c81

https://www.voanews.com/south-central-asia/us-regional-powers-call-taliban-forego-spring-offensive-moscow-conference

https://www.aa.com.tr/en/asia-pacific/russia-envoy-suggests-interim-government-in-afghanistan/2187008

https://indianexpress.com/article/india/india-can-eventually-join-afghan-peace-plan-russia-7221731/

https://www.thehindu.com/news/national/india-not-part-of-russian-meet-on-afghanistan/article34038118.ece


इस महीने की शुरुआत में हम सभी को पता चला, की जब अमेरिका UN के झंडे तले अफ़ग़ानिस्तान के भविस्य को लेकर होने वाली मीटिंग में भारत को भी invite करने की सोच रहा था, तो पाकिस्तान के प्यार में पागल रूस चाहता था, की भारत उस मीटिंग में शामिल ना हो.


और फिर बाद में रूस की तरफ से आधिकारिक स्टेटमेंट भी आ गया, की अंततोगत्वा भारत को अफ़ग़ान पीस प्रोसेस में शामिल होने का मौका मिलेगा. 


आप ही बताएं, जब सब कुछ तय हो चूका होगा, तो बाद में भारत के विदेश मंत्री क्या अंतिम समझौते के लिए आयोजित हस्ताक्षर कार्यक्रम में सिर्फ ताली बजायेंगे?? क्या रूस के अनुसार यही है भारत की उपयोगिता.


जबकि अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान को लेकर UN कांफ्रेंस को आयोजित करवाने जा रहा है, रूस ने भी आनन फानन में मास्को कांफ्रेंस का ऐलान कर दिया, जो की पिछले सप्ताह हो भी गयी.


लेकिन अच्छी बात यह है, की हाल ही में भारत यात्रा पर आये अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री ने मास्को कांफ्रेंस के आयोजन कर्त्ता यानि की रूस को दो टूक सब्दो में बता दिया, की उसने भारत को ना बुलाकर के बहुत बड़ी गलती कर दी है.


और इस पुरे छेत्र में बिना भारत को शामिल किये, शांति और स्थायित्वा नहीं लाया जा सकता है.


साथ ही साथ The हिन्दू को दिए इंटरव्यू में उन्होंने साफ़ कर दिया, की यह अफ़ग़ान लोगों की प्रबल इच्छा है, की अफ़ग़ानिस्तान में शांति को लेकर होने वाली किसी भी वार्ता और समझौते के दौरान भारत की उपस्थिति अनिवार्य है.  क्योकि एग्रीमेंट यदि हो भी गया, तो उसे जमीं पर उतारने के लिए इस छेत्र के देशो की मदद लगेगी, और जहाँ तक अफ़ग़ानिस्तान की हेल्प करने वाले देशो की बात है, तो भारत उनमे सबसे आगे खड़ा है.


अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री ने भारत की भूमिका को लेकर जो विचार प्रकट किये, वह स्वागत योग्य है, और इस बात पर संदेह करने का कोई कारण भी नहीं है, की अफ़ग़ानिस्तान ने रूस को यह सब असल में बताया होगा या नहीं.


मुद्दे की बात यह है, रूस को यह पता चलना चाहिए, की वह पाकिस्तान की धून का इतना दीवाना हो चूका है, की उसे अब सही गलत का अहसास ही नहीं रहा है.


जी हाँ दोस्तों, अफ़ग़ानिस्तान सर्कार का साफ़ कहना है, की वह नए इलेक्शन के लिए पूरी तरह से तैयार है, और उसमे जो भी पक्ष विजयी हो, सत्ता पर वही बैठेगा, और इस प्रकार लोकतान्त्रिक तरीके से अफ़ग़ानिस्तान से विदेशी सैनिको की बिदाई के साथ साथ शांति की स्थापना हो जाएगी.


लेकिन पाकिस्तान के प्यादे की तरह बिहेव करते हुए रूस आगे बड़ा रहा है, एक अलग ही प्रस्ताव, जिसके अनुसार चुनाव के पहले अंतरिम गवर्नमेंट होनी चाहिए, जिसमे सभी पक्षों को जिम्मेदारी और अधिकार मिलें.


अरे भाई, बिना Free and fair इलेक्शन के कौन बनाएगा अंतरिम गवर्नमेंट, और वह लोकतान्त्रिक होगी, यह कैसे कौन तय करेगा.


और तो और इस प्रस्ताव का समर्थन करने के साथ साथ आज कल रूस के अधिकारी पाकिस्तान की तारीफों के पुल बांध रहे हैं.कल ही की तो बात है, टर्की के अखबारों में रूस के द्वारा की गयी पाकिस्तान की प्रशंशा अख़बारों में खूब छपी है.


जब रूस पाकिस्तान चीन सब के सब शांति की स्थापना में लगे हैं, तो अभी तक शांति आयी क्यों नहीं, रूस को इस सवाल से लग जाएगी मिर्ची.


कई बार डिफेंसिव होकर हमारे यहाँ यह कहा जाता है, चूँकि भारत अमेरिका के करीब चला गया, इसलिए रूस ने पाकिस्तान को गले लगा लिया,  लेकिन बड़ा सवाल यह है, की जब भारत का झुकाव अमेरिका की तरफ बढ़ रहा था, तो रूस क्या कर रहा था.


क्या रूस की कोई जिम्मेदारी नहीं है, भारत के साथ दोस्ती के प्रति, क्योकि ताली एक हाथ से नहीं बजती है.


इसलिए यदि भारत और रूस के बीच दूरिया बढ़ रही है, तो इसका जितना जिम्मेदार भारत है, उसका उतना ही दोष रूस के सर पर भी धरा जाना चाहिए, वैसे भी दुनिया में कोई किसी का सगा नहीं होता है, सबके सब अपने अपने स्वार्थ साधने में लगे हैं. 

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