चीन को हवा भी ना लगी, भारत ने काम ख़तम कर दिया, Infrastructure in Andaman Nicobar


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Andaman and Nicobar Islands gets a 150-tonne cargo vessel

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References -

https://www.livemint.com/news/india/andaman-and-nicobar-islands-gets-a-150-tonne-cargo-vessel-11616912965665.html


 अभी दो दिन पहले ही हमने कवर किया था, जब ऐसा पहली बार हुआ की जापान जैसे किसी दूसरे देश ने अंडमान निकोबार के सोलर प्रोजेक्ट के लिए 240 करोड़ रुपयों की फंडिंग आसान शर्तों और कम व्याज दर पर मुहैया करवाई थी.


चूँकि हमारे यहाँ आजकल लोगों को अरबों खरबो की बातें करने की लत लग गयी है, इसलिए कुछ दर्शको ने इस प्रोजेक्ट का मजाक सिर्फ इसलिए उड़ाया क्योकि इसमें महज 240 करोड़ की छोटी मोटी फंडिंग आयी है. 


दोस्तों यहाँ पर हमारा कहना सिर्फ यह है, की कोई प्रोजेक्ट कितना बड़ा है, इसका अंदाज़ उस पर खर्च होने वाले पैसे से नहीं, बल्कि उसके पॉजिटिव प्रभाव से लगाया जाना चाहिए.


बड़े बड़े शिखर सम्मलेन में हम कितनी ही फ्री एंड ओपन इंडो पैसिफिक की बातें पेलते रहें, इन गप्पों का कोई मतलब नहीं जब तक हम अंडमान और निकोबार की रातों में उजियारे की व्यवस्था ना कर पाएं.


इसी दिशा में एक बहुत लम्बी छलांग लगाते हुए, कोचीन शिपयार्ड ने पहले मेड इन इंडिया 150 टन के कार्गो वेसल को डिलीवर कर दिया है. जिसमे एक बार में 500 लोग यात्रा कर सकते हैं.


मोदी सर्कार के 1400 करोड़ के प्रोजेक्ट के तहत ऐसे चार जहाज  डिलीवर किये जाने है, लाइव मिंट की खबर के अनुसार पहले जहाज की delivery तो चलो हो गई, दूसरे जहाज पर भी काम लगभग ख़तम होने वाला है.


अब आप पूछ सकते हैं, की आखिर इन जहाजों पर वीडियो बनाने की जरूरत ही क्या है.


तो दोस्तों, सायद आपको पता हो, 6408 स्क्वैर किलोमीटर एरिया में फैले हुए 507 द्वीपों से मिलकर बना है, अंडमान और निकोबार. इन द्वीपों के बीच आपस में ट्रांसपोर्ट हो सके, और वहां पर शेष भारत से सप्लाई मैटेन की जा सके, इसके लिए जरूरत है, ऐसे बड़े बड़े जहाजों की.


इस प्रकार कोचीन शिपयार्ड के द्वारा बनाये जाने वाले यह जहाज अंडमान और निकोबार आइलैंड को बेहतर ढंग से आपस में और शेष भारत से जोड़ेंगे.


यह पूरा प्रोजेक्ट किस स्केल का है, यह अंदाज़ा आपको सिर्फ इसी बात से लग जायेगा, की भारत सर्कार अंडमान और निकोबार आइलैंड के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर कुल मिलकर 3000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, और यह जो चार बड़े बड़े जहाज अभी डिलीवर किये जा रहे हैं, वह इसी बड़े प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं.


यह जहाज अभी अंडमान निकोबार के लोगों के जीवन को सुगम बनाएंगे, कहने की जरूरत नहीं है, संकट के समय यह सेना के काम भी आ सकते हैं. साथ ही साथ किसी भी प्राकृतिक आपदा में यह जहाज डूबते के लिए तिनके का सहारा भी बन सकते हैं. इस प्रकार यदि आप bigger पिक्चर को देख पाएं, तो आपको इस छोटे से कदम का बड़ा महत्वा समझ में आ जायेगा.


दोस्तों बूढ़े पुराने लोग कह गए है, सबल की ही सब सहायता करते हैं. इसलिए यदि हम चाहते हैं, की हिन्द महासागर की रक्षा में अन्य लोकतान्त्रिक देश हमारी सहायता करें, तो इसके लिए पहले हमें मजबूत बनना होगा. जब हमारे पास शक्ति और सामर्थ्य होगा, तो पूरी दुनिया हमारी मदद के लिए आगे आ जाएगी. 


1962 के युद्ध में हमने देखा है, निर्बल की कोई मदद नहीं करता है. वैसे भी हवा जलते हुए दीपक को तो बुझा देती है, लेकिन वही हवा जंगल की आग को भड़का देती है. इसलिए अंडमान निकोबार में इंफ्रास्ट्रक्चर कैपेसिटी डेवलपमेंट हमारे लिए कोई विकल्प नहीं बल्कि मजबूरी है.


चाहे सीमा वर्ती इलाकों में सडकों और पुलों का निर्माड हो, अथवा अंडमान निकोबार के लिए जहाजों की व्यवस्था करनी हो, यह सभी वही कदम हैं, जिनके कारण भारत में बैठे चीन के चापलूस लोगों को दिन रात हिंदुस्तान में लोकतंत्र ख़तम होता हुआ नजर आता है.


इन लोगों के अनुसार तो भारत में फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन तब तक बनी रहेगी, जब तक भारत दीन हीन और कमजोर बना रहे.


जहाँ तक हम समझ सकते हैं, अंडमान निकोबार के लिए डिलीवर किये जा रहे इन जहाजों का हम स्वागत करते हैं, और हमारी शुबकामनाएं भी हमेशा उनके साथ है.

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