भारत को कमजोर समझके चीन ने कर दी सबसे बड़ी गलती
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Australia ends China deals on national interest grounds
"Won't Be Bullied": Australia To China After Scrapping Belt And Road Deal
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References -
https://timesofindia.indiatimes.com/world/rest-of-world/australia-ends-china-deals-on-national-interest-grounds/articleshow/82191538.cms
https://www.ndtv.com/world-news/china-warns-serious-harm-to-ties-as-australia-scraps-belt-and-road-deal-2419427
https://www.ft.com/content/f2c9a79f-da04-4f84-aacf-01a0d059cfac
आज जैसा की खबरें आ रही है, की साल 2018 और 19 में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के अंतर्गत ऑस्ट्रेलिया की विक्टोरिया राज्य सरकार ने चीन के साथ दो डील फाइनल की थी.
जरा कल्पना कीजिये, क्या यह संभव है चीन में, भारत में, यह कहीं और, की केंद्र सरकार को बाई पास करके राज्य सरकार किसी दूसरे देश के साथ डील कर ले.
लेकिन ऑस्ट्रेलिया की शाशन प्रणाली ने यह होने दिया, इससे पहले की चिड़ियाँ खेत चुग जाएँ, ऑस्ट्रेलिया की केंद्र सरकार ने पछताते हुए अपने यहाँ के कानूनों को बदल दिया, और अब उनका प्रभाव देखने को मिला, जब ऑस्ट्रेलिया ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के अंतर्गत की गयी उन दोनों डील्स को कैंसिल कर दिया, क्योकि वह ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्र हित में नहीं थी.
जाहिर है, चीन जो की ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा ट्रेडिंग partner है , उसे यह बात नागवार गुजरी, और उसने अपनी झल्लाहट निकालते हुए कह डाला, की उसे नहीं लगता, की ऑस्ट्रेलिया चीन के साथ रिस्तो को सुधारने में रूचि रखता है.
देख लीजिये , चीन ने ऑस्ट्रेलिया के कोयले wine और बार्ली के इम्पोर्ट को रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ी, और ऑस्ट्रेलिया का गुनाह क्या था, उसने तो पिछले साल सिर्फ यह कहने की हिम्मत जुटाई थी, की कोरोना का जिन्न्न कब किसने कैसे बोतल से बहार निकाला, इसकी जाँच पड़ताल होनी चाहिए.
अगर चीन को ऑस्ट्रेलिया के साथ दोस्ती की इतनी ही फिक्र थी, तो उसने क्यों इतनी छोटी सी बात पर ऑस्ट्रेलिया का लकड़ी और कोयला खरीदना बंद कर दिया.
लेकिन ऑस्ट्रेलिया की हिम्मत की दाद देनी होगी, उसने भी साफ़ कर दिया, की वह चीन के सामने दबेगा और झुकेगा नहीं.
यहाँ पर बड़ा सवाल है, की ऑस्ट्रेलिया को यह हिम्मत कहाँ से आ रही है, तो पहला आसान जवाब तो यही है, की जैसे जैसे क्वाड ने आकर लेना चालू किया, हम सभी ने ऑस्ट्रेलिया के होंसले बुलंद होते देखें है.
परन्तु सबसे बड़ा होता है, रुपैया, ऑस्ट्रेलिया से लकड़ी और कोयला खरीदना बंद करके चीन ने सोचा था, की दो चार दिनों में ही ऑस्ट्रेलिया को आटे दाल का भाव पता चल जायेगा.
लेकिन जैसा की हमने समय समय पर कवर किया है, इस व्यापारिक संकट के समय ऑस्ट्रेलिया के काम आया भारत, जिसने ऑस्ट्रेलिया से हाई क्वालिटी कोल् डिस्काउंट पर ख़रीदा है.
कहने का मतलब यह है, की चीन ने एक दरवाजा बंद किया, तो ऑस्ट्रेलिया के दोस्तों ने दस दरवाजे खोल दिए. हमारे यह कहने का मतलब नहीं है, की ऑस्ट्रेलिया को नुकशान तो उठाना पड़ा, लेकिन उतना नहीं, जितना चीन अनुमान लगाए बैठा था.
परिणाम हमारे सामने है, चीन के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया की आवाज़ दबने के बजाय और बुलंद हो रही है.
इस बैकग्राउंड में आज हमें याद करना होगा, जब साल 2017 में पहली बेल्ट एंड रोड कांफ्रेंस का आयोजन चीन ने किया था, तब 29 देशो के नेताओं, 130 देशो के प्रतिनिधियों और 70 इंटरनेशनल organizations ने इस चाइनीस महफ़िल में ताली बजाई थी.
यहाँ तक की अमेरिका, Japan, France ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटैन बेगानी शादी में अब्दुल्ला की तरह दीवाने होकर BRI फोरस में शामिल हुए थे
तब अकेला भारत था, जिसने चीन के खिलाफ झंडा बुलंद करते हुए कह दिया था, की हम ना तो BRI फोरम में ताली पीटेंगे, और ना ही हम बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के प्रोजेक्ट में शामिल होंगे.
और आज देखिये 3-4 सालों में समय ने सबको निर्णय सुना दिया है, तब जो भारत ने किया, आज उसको अमेरिका से ऑस्ट्रेलिया तक सब फॉलो कर रहे हैं.
जबकि यह हमारी कूटनीति की एक बड़ी सफलता है, लेकिन दुर्भाग्य यह है, की हमारे यहाँ लोगों को देश की खामिया और नाकामियां निकालने से फुर्सत मिले, तो वह यह देखें, की भारत कहाँ सही साबित हुआ, और किस छेत्र में पूरी दुनिया आज भारत का अनुकरण कर रही है.
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