टर्की भारत की नजदीकी देख जल भुन गया पाकिस्तान

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References -  

https://www.aa.com.tr/en/health/turkey-sends-aid-to-india-to-fight-covid-19/2254131

https://www.dailysabah.com/politics/diplomacy/turkey-sends-medical-aid-to-india-to-help-ease-covid-19-burden

https://www.indiatoday.in/coronavirus-outbreak/story/turkey-extends-support-to-india-in-covid-crisis-1795823-2021-04-28

https://www.livemint.com/companies/news/npci-partners-paycore-to-help-merchants-accept-contactless-payments/amp-11621861195198.html


 हाल के कुछ वर्षो में भारत और टर्की के आपसी सम्बन्धो में काफी खटास आयी है, और खासतौर पर वर्ष 2019 में कश्मीर को लेकर टर्की ने कितना टर टर किया, वह हम सभी को अच्छे से याद है.


लेकिन पिछले मार्च महीने में अचानक से टर्की के फॉरेन मिनिस्टर ने भारतीय विदेश मंत्री को फ़ोन घुमा दिया, इस चर्चा के दौरान कोरोना संग्राम और अफ़ग़ानिस्तान को लेकर चर्चा हुई और अप्रैल महीने में टर्की के रास्ट्रपति की तरफ से उनके प्रवक्ता ने अजित डोवाल साहब से बात करके भरोसा दिलाया, की इस संकट के समय टर्की भारत की मदद करेगा.


और आज वही हुआ, टर्की की तरफ से 630 ऑक्सीजन tubes,  पांच ऑक्सीजन generators , 50 वेंटिलेटर्स और दवाइयों के पचास हज़ार डिब्बे हवाई जहाज में लोड कर दिए गए, ताकि वह जल्दी से जल्दी भारत पहुंच सके.


और यह सब हो रहा है, सीधे टर्की के राष्ट्रपति के आर्डर पर. और तो और टर्की को अचानक से याद आ गया, की वर्ष 1912 और 13 के बीच लड़े गए दो बाल्कान युद्धों, और वर्ष 1923 में टर्की की स्वतंत्रता की लड़ाई में भारत ने टर्की की मदद की थी.


हालाँकि उस दौरान चले खिलाफत आंदोलन के काले अध्याय की आज हम चर्चा नहीं नहीं कर रहे हैं. लेकिन हमारे यहाँ ही बड़े बड़े बिद्वान कहा करते थे, की गुलामी के शाशनकाल में भारत ने टर्की की जीतनी भी मदद की, उसका पूरा क्रेडिट पाकिस्तान खा गया. और यही कारण है, टर्की पाकिस्तान का पिछलग्गू बना घूमता है.


तो चलो उन्ही लेफ्ट लिबरल एक्सपर्ट के लिए आज खुस होने का मौका है, मोदी जी के काल में टर्की को याद आ गया, की 100 सालों पहले भारत के लोगों ने टर्की की कौन सी मदद कैसे की थी. यह बात और है, की आज जब काम उनकी मर्जी के अनुसार हो रहा है, तो भी उनके पेट में दर्द उठेगा, क्योकि उन्हें ना तो टर्की और ना ही भारत से कोई लेना देना है, उन्हें तो भारत में बैठकर सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान के स्वार्थ साधने हैं, और रावलपिंडी की भासा बोलना है.


देख लीजिये साहब, आज Turkey को समझ में आ रहा है, की असलियत में हर बार भारत ने ही उसकी मदद की है, अब देखना सिर्फ यह होगा, की टर्की को यह सच्चाई कब तक याद रहती है.


लेकिन इसी बीच भारत ने भी अपनी तरफ से कदम आगे बढ़ाते हुए नेशनल पेमेंट कारपोरेशन ने  Rupay कार्ड के सॉफ्ट POS सिस्टम के लिए टर्की की कंपनी paycore  को प्रोजेक्ट में शामिल कर लिया है.


इस प्रोजेक्ट में टर्किश कंपनी मदद करेगी, ताकि एक ऐसे सिंपल सलूशन का विकास किया जा सके, जिससे रूपए कार्ड को मोबाइल से कनेक्ट करके डायरेक्ट पैमेंट हो सके. 


अब यह सलूशन कैसे काम करेगा और कितना सफल होगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन भारत के छोटे छोटे व्यापारियों को डिजिटल क्रांति में शामिल करने  के लिए यह काम चल रहा है, और भारत इसमें टर्की की कंपनी का सहयोग भी ले रहा है.


अब आपका यह कहना बिलकुल जायज़ है, की हमने टर्की से 100 कोस की दुरी बनाके रखना चाहिए. और आपकी बात सही भी है.


लेकिन दोस्तों, यदि टर्की के व्यवहार में परिवर्तन हो रहा है, तो हमने उसे सजग रहते हुए एक मौका देना चाहिए. और वैसे भी यह सब शक्ति संतुलन का खेल है.


जब पाकिस्तान का डर दिखाकर रूस भारत से काम निकालना चाहता है, तो भारत टर्की के करीब जाकर पाकिस्तान को थोड़ी सी टेंशन तो दे ही सकता है.


लेकिन आपकी ही तरह हमें टर्की पर एक प्रतिशत भी भरोसा नहीं है, और मौका पड़ने पर वह फिर पलटी मरेगा, इसकी आशंका बहुत अधिक है. लेकिन जब तक काम चल रहा है, तब तक भारतीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए ,टर्की के साथ मेलजोल बढ़ाया जाना चाहिए, ऐसी हमारी अपेक्षा है.

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