पाकिस्तान को छोड़ रूस आया भारत की लाइन पर
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Russia against Taliban monopolising power, supports inclusive govt
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References -
https://pajhwok.com/2021/05/25/russia-against-taliban-monopolising-power-support-inclusive-govt/
हाल के कुछ दिनों मेँ हम सभी ने देखा है, की रूस को पाकिस्तान के ऊपर बहुत प्यार आ रहा है,
यहाँ तक की पाकिस्तान की धुन पर नाचते हुए, रूस ने यह तक कह दिया था, की अफ़ग़ानिस्तान की शांति वार्ता मेँ भारत का कोई ज्यादा महत्व नहीं है.
तब रूस के उस रुख का हमने भी विरोध किया था, लेकिन जैसे ही राष्ट्रपति बाइडेन ने हर हालत मेँ अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने का निर्णय लिया है, तभी से अफ़ग़ानिस्तान को लेकर भारत छोड़कर सभी देशो की स्थिति मेँ परिवर्तन होता हुआ दिखाई दे रहा है.
इसी क्रम मेँ रूस ने साफ़ साफ़ सब्दो मेँ तालिबान को समझा दिया है, की वह इसके खिलाफ है, की अफ़ग़ान सत्ता को अकेला तालिबान हथिया ले.
रूस चाहता है, की तालिबान अफ़ग़ानिस्तान मेँ स्थित सभी जातीय और राजनैतिक समूहों के साथ मिलकर सर्कार चलाये, ताकि अफ़ग़ानिस्तान का भविस्य टिकाऊ हो.
अमेरिका चीन और पाकिस्तान के साथ मिलकर रूस यह कोसिस कर रहा है, की अफ़ग़ानिस्तान मेँ स्थाईत्वा लाया जाये, और जैसे जैसे अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान से निकलता जायेगा, वैसे वैसे रूस का अफ़ग़ानिस्तान मेँ दखल बढ़ता चला जायेगा. और इसके लिए रूस ने पूरी योजना तैयार कर रखी है.
जैसा की हम सभी ने कई बार नोटिस किया हुआ है, रूस की कथनी और करनी मेँ अंतर बहुत अधिक है, इसलिए देखना होगा, की वह तालिबान को काबू मेँ कैसे करेगा.
उससे भी ज्यादा महतवपूर्ण होगा, की रूस अपने नए दोस्त पाकिस्तान की लगाम कैसे कसता है. लेकिन यदि रूस अपनी कथनी पर अमल कर पाया, तो यह भारत के लिए एक अच्छा संकेत साबित हो सकता है.
वैसे भी यदि अफ़ग़ानिस्तान मेँ आग लगेगी, तो उसकी आंच देर सवेर रूस और उसके सहयोगी देशो तक पहुंचेगी. इसलिए यदि रूस समझदार है, तो वह अफ़ग़ानिस्तान मेँ सभी पक्षों के द्वारा मिलकर बनी राजनैतिक व्यवस्था की स्थापना मेँ मदद करेगा.
इसे ही कहते हैं समय की तागत, कभी अफ़ग़ानिस्तान मेँ भारत और रूस एक ही पाले मेँ हुआ करते थे, लेकिन भारत तो जहाँ 40 साल पहले था, आज भी वही है, यह बात और है, की अमेरिका की पीठ देखने के चक्कर मेँ रूस ने पाला बदल लिया.
इसलिए यह तो आगे आने वाला समय ही बताएगा, की अफ़ग़ानिस्तान मेँ ऊंट किस करबट बैठता है.
हमारे लिए तो सबसे महत्वपूर्ण यही होगा, की ११ सितम्बर के बाद अफ़ग़ानिस्तान मेँ शांति की स्थापना के लिए अमेरिका पाकिस्तान के ऊपर कितना निर्भर बना रहता है.
अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने के बाद भी यदि अमेरिका को पाकिस्तान पर निर्भर रहते हुए अपना शोषण करवाना है, तो यह अफ़ग़ान विथड्रावल का पूरा तमाशा क्यों हो रहा है, वह हमारी समझ के तो बहार है.
अभी तो अच्छी बात यही है, की धीरे धीरे ही सही रूस सभी रस्ते पर आता हुआ दिखाई दे रहा है, लेकिन हम रूस की बातों का असर उसके काम मेँ देखने की प्रतीक्षा करेंगे.
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