दुनिया की सबसे विकराल समस्या का भारत ने किया सरल समाधान
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NHA plans event to share details of CoWIN with other countries
CoWin platform is scalable, can take up to 2 crore vaccinations a day, momentum here to stay: RS Sharma
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References -
https://www.moneycontrol.com/news/business/cowin-platform-is-scalable-can-take-up-to-2-crore-vaccinations-a-day-momentum-here-to-stay-rs-sharma-7071181.html
https://www.thehindubusinessline.com/economy/nha-plans-event-to-share-details-of-cowin-with-other-countries/article34954893.ece
हमारा देश भी अजीब है, एक तरफ गूगल फेसबुक यूट्यूब की तारीफ करते हम थकते नहीं है, तो दूसरी तरफ हम यह भी अफ़सोस प्रकट करते हैं, की यार भारत ने क्यों अभी तक गूगल फेसबुक की टक्कर का कोई विष्वव्यापी एप्लीकेशन नहीं बनाया.
लेकिन जब हम अपने आपको शर्मिंदा कर रहे होते हैं, तो हम भूल जाते हैं, की हमारे देश में ही आधार और UPI जैसे सॉफ्टवेयर प्लेटफार्म बने हैं, जो आज पूरी दुनिया के लिए अध्ययन का केंद्र बने हुए है. आधार और UPI की चर्चा तो हम कर चुके हैं.
आज हम बात करते हैं, cowin एप्प की. जिसके बारे में हम सभी परिचित है. विस्वा योग दिवस के दौरान भारत ने एक दिन में 84 लाख कोरोना के टीके लगवाए. और इसमें हेल्थ केयर प्रोफेशनल, वैक्सीन मनुफक्चरर्स और राज्य सरकारों सभी ने अपना अपना योगदान दिया है. और सबको बहुत बहुत धन्यवाद.
लेकिन इतने बड़े स्केल पर जो टीकाकरण कार्यक्रम भारत में चल रहा है, उसके पीछे जो पूरा डेटा है इनफार्मेशन है, वह सब मैनेज हो रही है cowin प्लेटफार्म पर. यह प्लेटफार्म कितना लोड सह रहा है, यह समझने के लिए इतना ही काफी है, की कभी कभी तो इस तक एक सेकंड में 30 हज़ार रिक्वेस्ट एक साथ पहुँचती है.
भारत जैसे विशाल आवादी वाले देश के लिए cowin कितना महत्वपूर्ण है, यह समझने के लिए आप जरा यह सोचिये, की यदि यह एप्प नहीं होता, तो आप कैसे घर बैठे बैठे वैक्सीन का स्लॉट ले पाते, वक्सीनशन सेण्टर पर आपको डेटा एंट्री करवाने के पहले या तो आपको खुद लम्बा चौड़ा फॉर्म भरना पड़ता, अथवा सेण्टर पर कोई आदमी यह काम कर रहा होता, लेकिन दोनों ही केस में आपका टाइम तो खोटी होता ही होता.
और ऐसा नहीं है, की कोरोना के साथ ही cowin प्लेटफार्म की कहानी ख़तम होने वाली है, भविस्य में सभी तरह के टीकाकरण कार्यक्रम इसी सॉफ्टवेयर प्लेटफार्म पर होंगे, और इसमें और भी विस्तार लाया जायेगा.
अब हो सकता है, आप में से कुछ सयाने लोग हमें यह बताने लगे की देखो cowin में यह खराबी है, वह खराबी है, इससे ख़राब एप्प आपने कभी नहीं देखा, यह खुलता नहीं है, खुल जाता है, तो चलता नहीं है. दोस्तों हज़ार खामियां होंगी इसमें लेकिन आप हमें यह जरूर बताएं, की दुनिया में ऐसा कौन सा एप्प है, जिसमे कमियां नहीं है. 2010 के यूट्यूब फेसबुक और गूगल को 2021 के यूट्यूब फेसबुक और गूगल से compare कर लीजिये, जमीं आसमान का अंतर आपको ध्यान में आ जायेगा.
कहने का मतलब यह है, की एक दिन में तो जंगल भी नहीं खड़ा होता है. Cowin प्लेटफार्म बन गया है, धीरे धीरे उसमे सुधार होंगे, हमें उसे थोड़ा समय भी देना चाहिए.
आपको और हमें भले ही ना पता हो, की क्या चीज़ बना दी है भारत ने, मोदी जी को जरूर पता है, तभी तो हाल ही मैं संपन्न हुई G7 की समिट में भारत ने दुनिया के सात धनाढ्य देशो को Cowin प्लेटफार्म के बारे में बताया.
और जल्द ही भारत एक ग्लोबल स्केल का इवेंट organize करने जा रहा है, जिसमे भारत दुनिया को जानकारी देगा, की कैसे बिना भारी भरकम खर्चा किये उसने फ्री में उपलब्ध टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके यह बहुमूल्य सॉफ्टवेयर प्लेटफार्म खड़ा कर दिया. जो की भारत जैसी पापुलेशन की जरूरत को सपोर्ट कर सकता है.
हमारे यहाँ मीडिया में सवाल पूछे जाते हैं, की भाई वैक्सीन का एक्सपोर्ट क्यों बंद नहीं किया, बंद कर दिया तो अब पूछ रहे हैं, वैक्सीन एक्सपोर्ट कब चालू करोगे, लेकिन यहाँ तो भारत ऐसे सिस्टम को एक्सपोर्ट करने की जुगाड़ में लगा हुआ है, जिसके बिना आसानी से सफल वक्सीनशन हो ही नहीं सकता है.
इसे कहते हैं एप्रोच में अंतर, जब विकसित कहे जाने वाले देशो में लोग कागज लिए घूम रहे हैं, उनके अलग अलग राज्यों में अलग अलग सिस्टम हो, तब उनके सामने भारत ने बड़ी लकीर खींच दी है, की किस प्रकार गरीब और पिछड़ा कहे जाने वाले देश ने समस्त आबादी की लिए सिर्फ एक Cowin प्लेटफार्म बना दिया. बोले तो पेन पेपर का झझट ही ख़तम हो गया है. इसलिए हमने जो काम अच्छा किया है, उसकी चर्चा भी हमें ही करनी होगी, नहीं तो वही होगा, कीजंगल में मोर नाचा लेकिन देखा किसी ने नहीं.
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