मोदी जी ने इटली और म्यांमार की लंका लगाईं
#RealQuickAnalysis #MakeInIndia #MiliataryCLothing
Military to go for indigenised clothing and equipment, time for gloves from Myanmar, rain bags from Sri Lanka over
Military seeks Indian partners for clothing and equipment needs
🔥Special Offer🔥 - अब आप हमारे अगले वीडियो को स्पोंसर भी कर सकते है, इसके लिए आप कमेंट section में अपना नाम शेयर कीजिये 100/- रुपए का आर्थिक सहयोग PayTM, Google Pay, Phone Pe Number - +917649046884 पर देकर स्पोंसरशिप लीजिये , ताकि एक वीडियो में हम बता सके, की आपने उसे स्पोंसर किया है! हमे सपोर्ट करने की लिए आपका धन्यवाद!
If you wish to sponsor our next video, you may please contribute only Rs 100/- at PayTM, Google Pay, Phone Pe Number - +917649046884. Please provide on your name in the comment section below, so that we can clearly mention in the video, that you have sponsored/funded it. Thank you all for supporting us always!! Please click on below link to join us on Facebook
इस लिंक पर क्लिक करके, आप हमसे फेसबुक पर जुड़ सकते हैं. https://www.facebook.com/RealquickAnalysis/ Please click on below link to join us on Twitter इस लिंक पर क्लिक करके, आप हमसे ट्विटर पर जुड़ सकते हैं. https://twitter.com/RealQuickInfo Note - The video was created in the Software and includes a link to https://www.movavi.com/
modi latest news today,modi latest news in hindi,modi ji latest news in hindi,real quick analysis,real quick analysis youtube channel,real quick analysis chanel,real quick analysis anchor,real quick info latest,real quick info hindi
References -
https://www.hindustantimes.com/india-news/indian-military-to-go-for-indigenised-clothing-and-equipment-101624700078255.html
https://thefederal.com/news/military-seeks-indian-partners-for-clothing-and-equipment-needs/
हमारा देश भी अजीब है, जब भी कोई बड़ा हथियार विदेशो से ख़रीदा जाता है ,तो हमारे यहाँ सबसे पहला सवाल यह पुछा जाता है, की आखिर यह हथियार भारत में क्यों नहीं बनता है, आखिर हम इन्हे इम्पोर्ट क्यों कर रहे हैं.
लेकिन भारतीय सेनाओ के लिए छोटे छोटे सामान विदेशो से इम्पोर्ट किये जाते हैं, उनके बारे में किसी को कोई चिंता नहीं होती है. उदहारण के लिए सियाचिन में जवान जो ग्लव्स पहनते हैं, वह म्यांमार से इम्पोर्ट किये जाते हैं, ग्लेशियर में सोने के लिए काम आने वाले स्लीपिंग बैग्स श्री लंका से आयात किये जाते हैं.
और तो और भारतीय कंपनियां इसरायली आर्म्ड फोर्सेज को जूते सप्लाई कर सकती है, लेकिन भारतीय सेनाओ के लिए स्पेशल बूट्स इटली से इम्पोर्ट किये जाते हैं.
एक बार सवाल उठा, की जबकि मिसाइल राकेट के मामले में भारत पूरी तरह से आत्मनिर्भर है, तो राइफल पिस्तौल और कपड़ों के मामलों में भारत इम्पोर्ट पर डिपेंडेंट क्यों हैं.
तो इसका सरल जवाब यह है, की मिसाइल और राकेट के व्यापर में कमीशन खाने का मौका नहीं मिलता है, इसलिए उन सबके मामले में हम किसी से कम नहीं है, वह सब भारत में बराबर बनते हैं, लेकिन कमीशन खोरी का कमाल है, कपड़ा लत्ता खरीदने में हम आज भी पूरी तरह से दुनिया के ऐरे गैरे नत्थूखैरे देशो पर निर्भर है.
लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मोदी जी ने अब यह खेल ख़तम करने का निर्णय ले लिया है. या तो भारतीय सेना के लिए मूलभूत साजो सामान भारतीय कंपनियों से ख़रीदा जाये, अथवा यदि विदेशी कंपनियों से ही खरीदना है, तो उनसे भारत साफ़ साफ़ कह रहा है, की बहुत हो चुकी बहाने वाजी, अब रक्षा छेत्र में सौ प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति है.
इसलिए चुपचाप भारत में फैक्ट्री लगा लो, टेक्नोलॉजी आपकी है, रॉयल्टी खानी है खूब खाओ, लेकिन प्रोडक्शन होना चाहिए भारत में और रोजगार भारतीय युवा को मिलना चाहिए.
अब आप में से कुछ सयाने लोग होसियारी दिखाते हुए कह सकते हैं, की मोदी सरकार पिछले सात सालों से क्या सो रही थी, उसने यह कदम पहले क्यों नहीं उठाये??
जिन गड्डों को खोदने में 70 सालों का समय लगा है, उन्हें भरने के लिए क्या आप मोदी जी को क्या सात दस सालों का समय भी नहीं दे सकते हैं. मतलब ऐसी क्या तेजी है आपको ??
काश आप इतना अधीर पहले हो गए होते, तो 2021 में भारत को जूते इटली से इम्पोर्ट ना करने पड़ रहे होते. एनीवे हमें पूरा विस्वास है, पप्पू पुजारियों को यह वीडियो देखकर ख़ुशी नहीं होने वाली है.
एनीवे उन्हें खुश करने का ठेका हमने लिया भी नहीं है. हमें तो यही बात संतोष प्रद लगती है, की देर से ही सही लेकिन दुरुस्त आते हुए भारत ने क्लोथिंग की बेसिक requirement मेक इन इंडिया के जरिये पूरा करने का निर्णय लिया है.
लेकिन हमें कोई गलत फहमी नहीं है, यह 70 सालों से कमीशन खोरी की जो आदत लगी हुई है, वह इतनी जल्दी से जाने वाली नहीं है. बड़े बड़े पदों पर बैठे अधिकारी विदेशो से कपडा लत्ता इम्पोर्ट करने के बहाने दिन रात खोजते रहेंगे.
कहने का मतलब यह है, की मेक इन इंडिया की राह कोई सरल नहीं है,वैसे भी अख़बारों में बड़े बड़े एक्सपर्ट मेक इन इंडिया की मौत का ऐलान करते हुए आपको रोजाना दिख जायेंगे.
अब जबकि इन लोगों की दलाली के दरवाजे बंद जो हो रहे हैं, तो आप ही बताएं, क्या यह लोग मोदी जी को दुआ में याद रखेंगे??
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें