अब दुनिया भर के शुगर ट्रेडर लगा रहे हैं भारत के चक्कर
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Indian traders sign sugar export deals in advance as frost hits Brazil
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References -
https://www.thehindubusinessline.com/markets/commodities/indian-traders-sign-sugar-export-deals-in-advance-as-frost-hits-brazil/article35619690.ece
आपको याद होगा और हमने भी इसकी कई बार चर्चा की थी, कोई बहुत पुरानी बात नहीं है, जब भारतीय शक्कर का भाव इतना अधिक होता था, की दुनिया के हर देश को वह कड़वी लगती थी.
हमारे यहाँ शक्कर के गोदाम भरे थे, खेतों में गन्ने की फसल खड़ी रहती थी. लेकिन दूसरे देश हमारी महगी शक्कर नहीं खरीदते थे. हमारे देश में शक्कर के भाव धड़ाम से नीचे गिर गए तो किसानो और गन्ना मिलों का क्या होगा, इसी डर के कारण भारत सर्कार शुगर एक्सपोर्टर्स को सब्सिडी दिया करती थी, ताकि भारतीय शुगर का भाव इतना कम हो जाये की दूसरे देश उसे खरीदने लगे.
इस बैकग्राउंड में वक्त ने करवट बदली, जब दुनिया में सबसे बड़े सक्कर उत्पादक देश ब्राज़ील में पड़ा सूखा और बाद में ठण्ड के कारण गन्ने की फसल बर्बाद हो गयी, परिणाम स्वरुप ग्लोबल मार्केट में टेंशन बनी हुई है, की शक्कर की कमी को कैसे पूरा किया जाए.
इसी डर के कारण भारतीय शक्कर के भाव बढ़ गए हैं, गन्ना अभी खेतों में खड़ा हो रहा है, शुगर मिल्स अभी बंद पड़ी हुई है, लेकिन ग्लोबल मार्केट में इंडियन शुगर की डिमांड इतनी है, की शुगर सीजन के चालू होने के चार पांच महीनो पहले ही ग्लोबल ट्रेडर्स ने इंडियन शुगर के लिए एक्सपोर्ट कॉन्ट्रैक्ट फाइनल करने चालू कर दिए हैं. ताकि उन्हें बाद में दर दर की ठोकर ना खानी पड़े.
कभी एडवांस शुगर एक्सपोर्ट कॉन्ट्रैक्ट सीजन के दो तीन महीने पहले ही किये जाते थे, लेकिन आज देखिये, किल्लत कीआशंका से भयभीत दुनिया भर के ट्रेडर्स भारतीय शक्कर लेने के लिए अभी से लाइन में लग गए है.
साफ़ तौर पर ब्राज़ील का नुकसान भारत के लिए नफे का सौदा दिखाई पड़ रहा है. अब आप में से कुछ दर्शक कह सकते हैं, की हमें दूसरे की बर्बादी से खुसी नहीं होना चाहिए, तो दोस्तों, आपकी नैतिक बात बिलकुल सही है.
लेकिन यह व्यापार है, अगर हम ब्राज़ील के संकट का लाभ नहीं उठायेगें, तो दुनिया में सक्कर का संकट और गहराता चला जायेगा. मित्र ब्राज़ील संकट में है, हम उन्हें सहानुभूति देते हैं, और उनके उज्जवल भविस्य की कामना करते हैं. लेकिन ब्राज़ील की तरफ से दुखी होने के बजाय हमें इस मौके को भुनाने की कोसिस करनी चाहिए. और इंडियन शुगर इंडस्ट्री कर भी बिलकुल यही रही है.
यदि आप नैतिकता की बात करते हैं ,तो आप जरा यह भी सोचे, की यदि भारत इस मौके का लाभ ना उठाये, तो सक्कर के निर्यात में दी जाने वाली सब्सिडी का बिल किस पर फटता है, यह हम सभी आम टैक्स पेयर का ही तो पैसा है, जिसे शुगर सब्सिडी के रूप में हर साल बांटा जाता है. इसलिए किसी न किसी को तो कटना पड़ेगा ही.
कल तक ब्राज़ील के दिन थे, आज भारत का टाइम आ गया है, सिंपल सी बात है, इसलिए हम तो अपेक्षा करते हैं, की इंडियन शुगर इंडस्ट्री इस दौरान ग्लोबल शुगर मार्केट में अपनी पैठ इतनी मजबूत कर ले, की कल को यदि ब्राज़ील में गन्ने की बम्पर फसल भी हो, तो भी वह ग्लोबल मार्केट में भारत की सक्कर को हिला नहीं पाए.
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