मोदी जी ने पूरा खेल जीत लिया,और किसी को हवा तक ना लगी
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India Enters WTO's Top 10 Agricultural Produce Exporters In 2019
Finance Ministry Rejects the Demand to Remove 10% Import Duty on Cotton
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References -
https://krishijagran.com/commodity-news/finance-ministry-rejects-the-demand-to-remove-10-import-duty-on-cotton/
https://www.republicworld.com/business-news/india-business/india-enters-wtos-top-10-agricultural-produce-exporters-in-2019.html
जैसा की आपको जानकारी होगी, और समय समय पर हमारी टीम ने भी कवर किया है, की भारतीय कृषि निर्यात में धीरे धीरे बढ़ोतरी हो रही है.
अभी जबकि दिल्ली में किसानो के नाम पर आढ़तियों का आंदोलन चल रहा है, और भारतीय कृषि के भविस्य पर सवालिया निशान लगाया जा रहा है, तभी वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन WTO ने पिछले 25 सालों के दौरान एग्रीकल्चरल ट्रेड की फील्ड के मुख्य ट्रेंड्स के ऊपर एक नई रिपोर्ट जारी की है.
यहाँ पर याद करना जरूरी है, की 1995 में पिछली बार जब यह रिपोर्ट जारी हुई थी, तो भारत को दुनिया के दस सबसे बड़े कृषि उत्पाद एक्सपोर्टर की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया था.
लेकिन अब जो ताजा रिपोर्ट आयी है, उसमे भारत ने एग्रीकल्चरल प्रोडूस एक्सपोर्टर्स के टॉप टेन देशो में 9 वी रैंक प्राप्त की है, और भारत की इस उपलब्धि का कारण है, की हाल के कुछ वर्षो में भारत से होने वाले चावल सोयाबीन कॉटन और मीट के एक्सपोर्ट में जबरदस्त उछाल आया है.
जिस लिस्ट में भारत ने नौवा स्थान प्राप्त किया है, उसी में टॉप किया है, यूरोपियन यूनियन ने,दूसरे नंबर पर है अमेरिका और चौथे नंबर पर है चीन.
हमसे आगे कौन कौन है, उसका दुःख मनाने से अच्छा होगा, की हम अपने किसानो को बधाई दें, क्योकि उनके अथक परिश्रम का ही यह परिणाम है, साथ में पिछले 25 सालों में भारत की सभी केंद्र और राज्य सरकारों को भी congratulations
लेकिन जबकि हम बात कर रहे हैं, भारत के एग्रीकल्चरल एक्सपोर्ट को बढ़ाने की, दुःख की बात यह है, की Cotton Textiles Export promotion कौंसिल ने मोदी सर्कार से रिक्वेस्ट की थी, की भारत ने कॉटन इम्पोर्ट पर लगने वाली कुल मिलाकर 10 प्रतिशत की कस्टम ड्यूटी को हटा लेना चाहिए.
जब आत्मा निर्भर भारत अभियान चल रहा है, PLI स्कीम की चर्चा हो रही है, तब यह जमीनी सच्चाई है, की दुनिया के सबसे बड़े कॉटन प्रोडूसर के रूप में गिने जाने वाले भारत में पिछले कुछ सालों के दौरान कॉटन का इम्पोर्ट बढ़ रहा था.
इसलिए भारतीय कपास उत्पादक किसानो के हितों की रक्षा करने के लिए मोदी सर्कार ने कॉटन इम्पोर्ट पर कस्टम ड्यूटी दे मारी थी. और इसका सीधा सीधा लाभ मिला है, इंडियन कॉटन फार्मर्स को.
सायद तो कॉटन इम्पोर्टर्स अपने धंधे को ज्यादा महत्वा दे रहे थे, तभी वह किसानो के लिए हितकारी बड़ी हुई कस्टम ड्यूटी को घटाने की डिमांड लेकर मोदी सर्कार के सामने पहुंच गए.
लेकिन अच्छी बात यह हुई की, कॉटन इम्पोर्टर्स की पुरानी दाल नई दिल्ली में नहीं गल पाई, और भारत सर्कार ने उनकी डिमांड को रिजेक्ट कर दिया. जिस कॉटन को यह इम्पोर्ट करना चाहते हैं, उस कॉटन का भारत में ही उत्पादन चालू हो पाए, ऐसी कोसिस इंडियन कॉटन इम्पोर्टर करेंगे, यह उम्मीद की जानि चाहिए.
अब आप ही बताएं, कॉटन इम्पोर्ट करने वाले जिन व्यापारियों का भारत सर्कार ने धंधा चौपट कर दिया, क्या वह मोदी जी की टीवी पर बैठकर तारीफ करेंगे.
परन्तु भारत सर्कार के इस कदम से साफ़ हो जाना चाहिए, की किसानो के हितों की असली चिंता किसे हैं, जहाँ तक भारत के बढ़ते हुए एग्रीकल्चरल एक्सपोर्ट का सवाल है, यह बात भी हम सभी को पता है, हाल के कुछ वर्षो में इसमें तेजी से उछाल आया है.
कृषि सुधार कानूनों के माध्यम से यदि भारतीय किसानो को भरपूर मौका दिया जाये, तो वह पूरी दुनिया के कृषि वाज़ार जीत सकते हैं.क्युकी अमेरिका के बाद भारत के पास दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कृषि योग्य भूमि है.
हमारे पास नेचुरल रिसोर्स एंड ह्यूमन capability है, टॉप two एग्रीकल्चर एक्सपोर्टर बनने की, बस हमें अपनी दावेदारी पेश करना है, हाँ अभी यह बहुत बड़ा सपना लग सकता है, लेकिन जब सपना देख ही रहे हैं दोस्तों, तो क्यों ना बड़ा देखें.
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