चीन की बर्बादी से आवाद हुआ भारत

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Telangana moots Taiwan-specific industrial cluster to attract more investments

Curbs on Chinese tech firms will benefit Indian tech firms across domains: Deviprasad Nair of Helios Capital

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References -

https://www.thenewsminute.com/article/telangana-moots-taiwan-specific-industrial-cluster-attract-more-investments-153105

https://www.moneycontrol.com/news/business/markets/curbs-on-chinese-tech-firms-will-benefit-indian-tech-firms-across-domains-deviprasad-nair-of-helios-capital-7240761.html


 यह सच्चाई हम सभी को पता है, की चीन को ग्लोबल फैक्ट्री बनाने में ताइवान की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण रही है.


यह बात और है, की जब ताइवान की कंपनियां चीन में फैक्ट्री लगा रही थी, तब भारत वन चाइना की पालिसी का झुनझुना बजा रहा था. ताइवान को इग्नोर कर रहा था.


लेकिन समय सबसे बड़ा शिक्षक होता है, और आज देखिये ताइवान की कंपनियों को आकर्षित करने के लिए भारत की राज्यसरकारें कितनी मेहनत कर रही है.


उदहारण के लिए तेलंगाना ने ताइवान के सामने प्रस्ताव पेश किया है, सिर्फ ताइवान के लिए विशेष तौर पर पहला इंडियन इंडस्ट्रियल क्लस्टर तेलंगाना में स्थापित किया जा सकता है, जिससे ताइवान का अधिक से अधिक निवेश तेलंगाना में आ सके.


जैसा की हम सभी जानते हैं, दक्षिण भारत के राज्यों में व्यापर और बिज़नेस करना आसान है, लेकिन फिर भी यह राज्य मेहनत कर रहे हैं, जैसे की तेलंगाना तो अपने यहाँ के इन्वेस्टर को यह कानूनी अधिकार दे रहा है, की उन्हें सभी सरकारी अप्रूवल समय पर मिल जायेंगे.


जब ऐसे काम किये जाते हैं, तब ही बड़े बड़े निवेशक सालों के लिए किसी राज्य में अपना तम्बू गाड़ते हैं. और दक्षिण के राज्यों की एक बड़ी विशेषता यह भी है, की यदि एक पार्टी की सर्कार के कार्यकाल में कोई निवेश हुआ है, तो सरकार बदलते ही उस निवेशक के बुरे दिन चालू नहीं होते हैं.


तभी तो ताइवान की अधिकतर कम्पनिया आपको तमिलनाडु कर्णाटक में मिलेगी, और तेलंगाना भी अब भरपूर कोसिस कर रहा है.


हम फिर कहना चाहेंगे, हम सभी ने  यहाँ पर तेलंगाना से जलने के बजाये उससे प्रेरणा प्राप्त करनी चाहिए. आखिर हमारे उत्तर भारत के राज्य कब तक कुम्भ करण की नींद सोते रहेंगे, अन्य राज्य क्यों तुरत फुरत अप्रूवल नहीं दे सकते हैं, अरे भाई अप्रूवल ना देना हो ना दो, कम से कम रिजेक्ट कर दो, जो करना हो, वस जल्दी कर दो. 


कोई बात नहीं, जो राज्य मेहनत करेंगे, उन्ही को मलाई भी मिलेगी. 


जबकि भारत कोसिस कर रहा है, की अधिक से अधिक  निवेश भारत में आये, तो उधर चीन ने भी अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है.


हाल ही के कुछ दिनों में सरल सब्दो में चीन ने यह तानाशाही निर्णय लिया है, की जो कंपनियां टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके एजुकेशन देती है, उन्हें प्रॉफिट कमाना छोड़कर धर्म शाला खोल लेनी चाहिए.


और चीन यहाँ पर रुकने वाला नहीं है, क्योकि भगवान श्री कृष्ण ने दुर्योधन से कहा था, की जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है.


जैसे तैसे करके चाइनीस कंपनियां यह कर भी लेगी, अब उनके सामने और कोई विकल्प है ही नहीं, लेकिन जिन बड़े बड़े निवेशकों ने इन चाइनीस कंपनियों में निवेश किया हुआ था, उन्हें तो प्रॉफिट चाहिए ना, उन्होंने कोई धर्मार्थ प्याऊ खोलने के लिए थोड़े ही पैसे लगाए थे.


वैसे भी आप सभी को पहले से पता था, इन बड़े बड़े निवेशकों के साथ यही होना था, जब आप सभी लोग खतरे की घंटी बजा रहे थे, तब यह निवेशक चीन में भर भर के निवेश कर रहे थे.


कोई बात नहीं, दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक कर पीता है,  इसलिए उम्मीद है, की बड़े पैमाने पर ग्लोबल इन्वेस्टर को अब चीन की जगह भारत में निवेश का अवसर दिखेगा.


वैसे भी चाइना प्लस वन और Say No To चाइना पालिसी का हाल के समय में भारत को बहुत लाभ हुआ है, और अब यदि बड़े बड़े निवेशक भी चीन से लोटा बाल्टी लेकर भागने लगेगें, तो उन्हें भारत में ही आना पड़ेगा.


चीन की गलतियां और ग्लोबल डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की प्रक्रिया के कारण इंडियन टेक्नोलॉजी सेक्टर के उज्जवल भविस्य के दरवाजे खुल रहे हैं, और इस पुरे घटनाक्रम से हम सभी को डायरेक्ट एंड फ़ास्ट लाभ हो, इसीउद्देस्य से हमने कुछ महीनो पहले NETFIT ETF आप सभी के साथ साझा किया था.


जब जब इसको खरीदने और बेचने के मौके आते हैं, उन्हें हम लगातार अपने टेलीग्राम Channel ETF नॉलेज शो पर फ्री में साझा करते हैं, इसलिए यदि आपको चीन की बर्बादी से आवाद होना है, तो आप हमारे टेलीग्राम चैनल को ज्वाइन कर लीजिये.


ध्यान रहे, नेटफिट के बिना आपका पोर्टफोलियो फ्यूचर फिट हो ही नहीं सकता है, इसलिए यदि आपको भारत के भविस्य में भरोषा है तो आपके Long Term पोर्टफोलियो में यह ETF होना ही चाहिए.

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