पचास सालों में पहली बार लद्दाक में हुआ यह कांड

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 50 Year Long Ban On Export Of Fresh Apricots From Ladakh Lifted

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References -

https://www.outlookindia.com/website/story/india-news-50-year-long-ban-on-export-of-fresh-apricot-from-ladakh-lifted/393222

बाबुल की दुआ लेकर अमेरिकन दुल्हन काबुल से विदा तो हो गयी, लेकिन यह दुल्हन वाशिंगटन पहुंचने के बजाय  अब पाकिस्तान में रुकेगी. इसलिए दोस्तों, हम बाइडेन को लाल बुझक्कड़ कहते है, क्योकि सब कुछ लुटाने के बाबजूद, उनकी अकल ठिकाने पर आने का नाम तक नहीं ले रही है. क्या आपने इससे बड़ा बेवक़ूफ़ आदमी देखा है कहीं?? जाने किस पोपट को प्रेजिडेंट बना दिया अकल के अंधे अमेरिकियों ने.


लेकिन इस नकारात्मक बैकग्राउंड में आप जरा गौर फरमाएं. क्योकि आपने मीडिया में पड़े लिखे पप्पू पुजारियों को यह कहते सुना होगा, की धारा 370 हटने के बाद जमीं पर हुआ ही क्या है. वैसे इनकी कोई गलती नहीं है, क्योकि कुए के मेडक को सिर्फ अपनी टर टर की आवाज़ ही सुनाई देती है.


एनीवे सायद आपको जानकारी हो,  भारत में कुल मिलाकर जितना एप्रीकॉट यानि खुबानी का प्रोडक्शन होता है, उसमे मेजोरिटी यानि की 62% प्रोडक्शन केवल लद्दाक में होता है.


विटामिन A और C,  कैल्शियम, आयरन और पोटेसियम से भरपूर एप्रीकॉट की भारत से लेकर दुनिया भर में डिमांड है. लेकिन हमारी तरह आपको भी जानकर दुःख और आश्चर्य होगा, की 50 साल पहले लद्दाक के एप्रीकॉट एक्सपोर्ट को रोक दिया गया था.

क्योकि लद्दाक के एप्रीकॉट में कोई तो कीड़ा लगता था, जो की जम्मू कश्मीर के बागवानों में लगने वाले फलों को बर्बाद कर देगा, इस प्रकार का काल्पनिक डर था.


लेकिन बाद में साइंटिफिक स्टडीज में निकल कर आ गया, की वह कीड़ा लद्दाक और खासकर कारगिल के पहाड़ी और ठन्डे इलाके में ही पनपता और फैलता है. 


तभी तो कारगिल के किसान मांग करते रहे, की भाई हमें देश और विदेश में खुबानी बेच लेने दो, लेकिन किसी के कान पर जु तक नहीं रेंगी. अरे साहब, अब एग्रो केमिकल ने इतनी प्रगति कर ली है, की हर पेस्ट के लिए आपको पेस्टिसाइड मिल जाएगा. कहने का मतलब यह है, की जहाँ चाह, वहां राह होती है.


और तो और यदि जम्मू कश्मीर के किसानो को खतरा था, तो इसके लिए लद्दाक के किसानो की बलि क्यों चढाई गयी, उन्हें जान बूझकर गरीव क्यों रखा गया?? धारा 370 के स्पेशल स्टेटस का समर्थन करने वाले पड़े लिखे लेफ्ट लिबरल लोग कभी इन सवालों का जवाब नहीं दे पाएंगे, मानव अधिकारों के नाम पर मलाई उड़ाने से फुर्सत ही कहाँ मिलती है इन दलालों को.


एनीवे इस बार एक ही झटके में लद्दाक की केंद्र शाषित सर्कार ने 1974 के सरकारी नियम को कब्र में दफना दिया, इस प्रकार मिल गयी कारगिल के किसानो को आजादी. और तो और ताबड़ तोड़ काम करते हुए दुनिया के सबसे मीठे एप्रीकॉट का 150 किलो का शिपमेंट दुबई भी भेज दिया गया.


अब आप ही बताएं, क्या इसका लाभ आम लोगों को नहीं मिलेगा?? क्या किसी किसान की आय नहीं बढ़ेगी?? क्या 

 किसी युवा को रोजगार नहीं मिलेगा. अफ़सोस सिर्फ इसी बात का है, की तालिबान का महिमामंडन करने वाली भारतीय मीडिया को मोदी जी के इन जमीनी कदमो को कवर करने की फुर्सत सायद ही कभी मिल पाए.


एनीवे, हम हैं ना, आपके लिए हम हमेसा ऐसे ही अनछुए पहलुओं पर वीडियो बनाते रहेंगे, इसलिए आप हमारे चैनल को अभी के अभी सब्सक्राइब कर डालिये, क्योकि देर ना हो जाये, कहीं देर ना हो जाये.


जब बात चली है, अच्छी खबरों की, तो दोस्तों आपको बताते हुए हमें खुसी हो रही है, की जब कोरोना की दूसरी लहर अपने चरम पर थी, तब 28 मार्च को हमने 155 के भाव पर धक्के खा रहे निफ्टीबीस नामक ETF पर वीडियो बनाया था, ताकि मोदी जी के काम से आपको डायरेक्ट एंड फ़ास्ट मुनाफा हो सके.


और आज देखिये दोस्तों, सारे बंधन तोड़ते हुए निफ़्टी ने 17 हज़ार के लेवल की धज्जियाँ उड़ा दी हैं, और निफ़्टी बीस ETF का भाव हो गया है, 184 रुपये, इस प्रकार निफ्टीबीस ETF ने पिछले पांच महीनो में दे डाला है, 18%  का रिटर्न, वह भी बिना किसी चिक चिक पिक पिक के. नो टेंशन ओनली गेन.


मोदी जी के काम से आप सभी अपने दम पर अब मुनाफा उठा पाएं, इसलिए आपके फीडबैक के अनुसार हमने डिज़ाइन किया है बेहद सरल आसान और आपकी भासा में एकदम नया आत्मनिर्भर इन्वेस्टर कोर्स, जिसका आप महज हज़ार रुपये पे करके लाभ उठा सकते हैं. याद रखियेगा दोस्तों, यदि हम सभी ने मोदी जी का साथ नहीं छोड़ा और उनका शाशनकाल बना रहा तो कोई आश्चर्य नहीं है, यही निफ्टीबीस ETF कुछ सालों में  900 के भाव पर खड़े खड़े धड़ल्ले से बिकेगा.

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