मोदी जी ने टेढ़ी उंगली से घी निकाला

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Lenovo expands manufacturing capabilities for PCs, notebooks, smartphones in India

In 'Make in India' push, govt urges carmakers to cut imports from China

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References -

https://www.thehindu.com/sci-tech/technology/lenovo-expands-manufacturing-capabilities-for-pcs-notebooks-smartphones-in-india/article36117055.ece

https://www.livemint.com/auto-news/in-make-in-india-push-govt-urges-carmakers-to-cut-imports-from-china-11629973401840.html


हम सभी ने देखा है, जब मेक इन इंडिया को लॉच किया गया था, तो शुरुआत में उसका कितना मखौल उड़ाया गया, PLI स्कीम के पैदा होने के साथ ही उसकी अंतिम यात्रा का ऐलान कर दिया गया.


लेकिन आज देखिये पीछे मुड़कर, पहले अमेरिका जापान और ताइवान जैसे देशो की कंपनियों ने भारत में लोकल मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने का निर्णय लिया.


और अब तो चाइनीस कंपनी लेनोवो को भी आत्मनिर्भर भारत अभियान भा गया है, होन्ग कोंग बेस्ड यह कंपनी अब अचानक से कहने लगी है, की उसे भी अपनी सप्लाई चैन को लचीला और विस्वस्नीय बनाना है, जिस मार्किट में माल बेचना है, उसी मार्किट में नौकरियां भी देना है. 


कोई बहुत पहले की बात नहीं थी, जब हर कंपनी को भारत में माल खरीदने वाले 130 ग्राहक दिखाई पड़ते थे, काम करने वाले 260 करोड़ हाथ नहीं. तभी तो यह ग्लोबल सप्लाई चैन के फर्जीवाड़े ने जन्म लिया, जिसके अंतर्गत हर सप्लाई चैन के सेण्टर में चालक चीन बैठ गया.


कोई बात नहीं, जो हुआ सो हुआ, अच्छी बात यह है, की लेनोवो की सहयोगी कंपनी मोटोरोला ने जहाँ भारत में मोबाइल प्रोडक्शन कैपेसिटी को एक साल में डबल कर दिया.


वही लेनोवो ने स्वयं एक पूरी की पूरी नई कॉमन असेंबली लाइन खड़ी कर दी, जिसमे डिमांड के अनुसार वह अपने सभी प्रकार के पर्सनल कम्प्यूटर्स की मैन्युफैक्चरिंग और असेंबली करेगी.


हवा का रुख पकड़ते हुए कुछ समय पहले उसने अपने टेबलेट की लोकल मैन्युफैक्चरिंग छोटे लेवल पर चालू की थी, लेकिन जैसे ही उसे कन्फर्म हुआ की दाव सही पड़ा है, उसने टेबलेट के प्रोडक्शन को बड़ा दिया. 


और लेनोवो के दवारा खड़ी की गयी इस कैपेसिटी में 1500 एम्प्लोयी को डायरेक्ट एंड indirect  रोजगार भी मिला है.


अब हो सकता है, की NDTV के नेगेटिव वीडियोस देख देख कर पक चुके आप में से कुछ लोग गलती से इस वीडियो को  खोल लिए हों, तो आप कहेंगे, की मैडम क्यों फालतू की हवावाजी कर रही हो, मोदी काल में सर्वनाश ही हुआ है.


तो आप जरा ध्यान दें,  लेनोवो ने भारत में पहली मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी सेट अप की थी, साल 1999 में . तो यदि मोदी जी सिर्फ प्रधानमंत्री की कुर्सी गरम कर रहे हैं, तो जरा आप बताएं, की आज अचानक से 20 साल बाद किस भूत ने कब्र से उठकर लेनोवो को भारत में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने पर विवस कर दिया??


आप माने या ना माने, यह कमाल है, PLI स्कीम की सब्सिडी का. इसलिए जहाँ तक हम समझ सकते हैं, यह एक अच्छा संकेत है, और हम उम्मीद करते हैं, की और अधिक संख्या में बड़ी बड़ी चाइनीस कंपनियां लोकल मैन्युफैक्चरिंग के लिए भारत को अपना गड़ बनाएगी .


एक तरह भारत सरकार मोबाइल लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक्स के लोकल प्रोडक्शन को बढ़ाने की बात कर रही है, तो दूसरी तरफ इंडियन ऑटो कंपनियां भारत सरकार से मांग कर रही थी, की टैक्स बहुत लगता है यार, उसे कम करो ना


हालाँकि ऑटो कंपनियों की टैक्स रिडक्शन की डिमांड कुछ हद तक जायज है, लेकिन जमीनी कड़वी सच्चाई यह भी है, की बजाज से लेकर मारुती तक सब के सब चीन से दबा के कॉम्पोनेन्ट इम्पोर्ट कर रहे हैं.


और खासतौर पर इलेक्ट्रिक व्हीकल के बड़े बड़े मैन्युफैक्चरर कही जाने वाली कंपनियां रियलिटी में भारत में चाइनीस कॉम्पोनेन्ट की असेम्बर मात्र है.  


इसलिए मोदी सरकार ने भी इन्हे दो टूक सब्दो में समझा दिया है, की उन्होंने चीन से इम्पोर्ट कम करना ही होगा. क्योकि यह नहीं हो सकता, की जिस तरह हम चाइनीस सोलर कॉम्पोनेन्ट के सबसे बड़े इम्पोर्टर बनकर रह गए, उसी तरह इलेक्ट्रिक व्हीकल के छेत्र में चाइनीस बैसाखियो के बल पर खड़े होने के लिए हमें मजबूर होना पड़े.


हम उम्मीद करते हैं, की इंडिया ऑटो कंपनियों के होश जल्दी से ठिकाने आएंगे, नहीं तो हम सभी ने देखा है, मोदी जी को टेढ़ी उंगली से घी निकालना भी आता है.

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