अमेरिका से लौटते ही मोदी जी आग लगा दी
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India has China on its toes as Modi govt engages Taiwan to solve domestic chip shortage
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References -
https://www.livemint.com/news/india/india-accelerates-talks-with-taiwan-on-chip-plant-trade-deal-11632704065463.html
काफी समय से हम लोग चर्चा कर रहे है, की वह ताइवान ही था जिसने चीन को ग्लोबल फैक्ट्री बना दिया. उधर अमेरिका ने दिखाई हरी झंडी, इधर ताइवान की कंपनियों ने चीन में तम्बू गाड़ दिया.
हमने कई बार कहा, की कास चीन की जगह ताइवान भारत में आया होता, वन चाइना की पालिसी का झुनझुना बजाने के बजाय कास हमने ताइवान को गले लगाया होता, तो आज मजा ही कुछ और आता.
अरे साहब, हमारी हालत तो इतनी पतली थी, की पेन और पेपर लिए ताइवान ट्रेड डील के लिए तैयार बैठा रहा, लेकिन चीन चिल्ला चोट मचाएगा, इसी डर से हमारी सरकारों ने कभी पेन की पावर का इस्तेमाल तक नहीं किया.
सब नेतृत्वा का खेल है, बाबू भैया. जब पूरी दुनिया के घुटने कांपते थे, तब डोकलाम और गलवान में वह भारत ही था, जिसने चीन को चूड़िया पहनाई थी. आज जो इंडो पसिफ़िक और Quad की बड़ी बड़ी बातें चलती है, उनके पीछे मूल भूत कारण भी यही है, की सबको लगता है, की वह भारत ही है, जो चीन से लोहा ले सकता है.
इसी बैकग्राउंड में हुई अमेरिका में क्वाड समिट, जिसमे हमने चर्चा भी की थी, की सेमीकंडक्टर सप्लाई चैन को चाइना मुक्त बनाने पर सहमति बनी है, यह तो थी जनाब कागजी बात. लेकिन असलियत में क्या हुआ होगा, अमेरिका ने दिखा दी ताइवान को हरी झंडी.
लेकिन इस बार हरी झंडी लाल चीन के लिए नहीं, हमारे तिरंगे के लिए लहराई गयी थी. जी हाँ दोस्तों, आपने सुना है एक दम सही. भारत और ताइवान के बीच बातचीत चल रही है, जिसके अंतर्गत दुनिया की सबसे valuable सेमीकंडक्टर कंपनी Taiwan Semiconductor Manufacturing कंपनी शार्ट में बोलूं तो TSMC भारत में लगाने जा रही है, एक दम झकास नया प्लांट, वह भी 7.5 बिलियन डॉलर के निवेश पर.
बातचीत किस लेवल पर पहुंच चुकी है, यह आपको इसी बात से पता लग जायेगा, की भारत अब इस नए प्लांट के लिए ऐसी जगह तलाश रहा है, जहाँ पानी बिजली और मेन पावर की कोई कमी नहीं हो. बोले तो कोई फालतू की टेंशन चिक चिक नहीं होनी चाहिए ताइवान को बाद में.
लेकिन अब आप सुनिए जरा ध्यान से, TSMC भारत में आ तो रही है, लेकिन मोदी जी भी दिल खोल कर इसका स्वागत करने को तैयार हैं. जाहिरहै, यह स्वागत खाली बातों से तो होगा नहीं, नए प्लांट को वित्तीय सहायता और भारी भरकम टैक्स में छूट भी दी जाने वाली है.
अरे अरे आप बैचेन ना हो, की मोदी जी यह क्या कर रहे हैं, भाई जी आप आंकड़े सुनिए जरा ठन्डे दिमाग से. अभी भारत हर साल 24 बिलियन डॉलर के अपनी डिमांड के पुरे के पुरे सेमीकंडक्टर इम्पोर्ट करता है, और साल 2025 तक भारत 100 बिलियन डॉलर के सेमि कंडक्टर इम्पोर्ट कर रहा होगा.
मोबाइल से लेकर लैपटॉप तक, कार से लेकर हवाई जहाज तक, हर चीज़ में तो लगता है यह सामान, इसके बिना भारत ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बन ही नहीं सकता भाई साहब, हनुमान जी को भी जब समुद्र लांघना था, तो वह भी दो कदम पीछे हटे थे, इसलिए गदाधारी भीम की तरह आप उग्र ना हो, शांति रखें, बहुत बड़ा जी हाँ बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है यह. और हाँ मोदी जी पर भरोषा रखें. आपने बहुत सही आदमी बैठाया है दिल्ली की गद्दी पर.
अरे प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट छोड़िये जनाब, मुद्दे की महतवपूर्ण बात यह है, की ताइवान भारत के गले लग जायेगा, ट्रेड डील हो जाएगी, अवसरों की बारिश हो जाएगी छप्पर फाड़ के. साथ साथ चीन को कोल्हापुर की मिर्ची लग जाएगी, सो वह तो अलग ही साइड बेनिफिट है.
बस एक बार आधिकारिक अनोउसमेंट हो जाये, यूंकि मजा आ जायेगा, चाइनीस चौपट राजा का मुँह देखने में फिर.
हम तो भाई जी, ताइवान का स्वागत करते हैं, बिलकुल, आपको क्या लगता है, ग्लोबल स्केल के इस प्रोजेक्ट के लिए क्या मोदी जी ने कोई विशेष रियायत सुविधा देनी चाहिए या नहीं??
इस सवाल का जवाब तो आप देते रहिएगा आराम से, लेकिन अभी सुन लीजिये आप मुनाफे की बात. दोस्तों, मोदी जी इतनी मेहनत कर रहे हैं, दूध को उबाल रहे हैं. मलाई भी पड़ेगी मोटी बाली. जिस पर पूरा हक़ है आपका, पप्पू पुजारियों का नहीं.
लेकिन इस मलाई का मजा लेने के लिए आपको सही समय पर लगना होगा सही लाइन में. देख लो आप, निफ़्टी भी 18 हज़ार के लेवल तक आ गया, इसलिए दोस्तों, आत्मनिर्भर इन्वेस्टर कोर्स का लाभ उठा लीजिये, बार बार कह रहे हैं हम.
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