मोदी जी दो सालों से डटे थे अमेरिका के खिलाफ



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Domestic exporters may soon start shipments of mangoes to US: Official

Collaboration, not tug of war, key to trade ties: America's Katherine Tai

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Reference -

https://economictimes.indiatimes.com/news/economy/foreign-trade/collaboration-not-tug-of-war-key-to-trade-ties-americas-katherine-tai/articleshow/87878783.cms

https://www.business-standard.com/article/economy-policy/domestic-exporters-may-soon-start-shipments-of-mangoes-to-us-official-121112301265_1.html

सायद आपको जानकारी होगी, की साल दर साल भारत अपने मीठे रसीले आमो का एक्सपोर्ट अमेरिका को करता आया है, लेकिन कोरोना क्राइसिस के चलते पिछले दो सालों से भारत अमेरिका को आम एक्सपोर्ट नहीं कर पा रहा है.


स्वाभाविक है, इसका खामियाज़ा ना सिर्फ भारतीय किसानो और व्यापारियों को बल्कि अमेरिकन उपभोक्ता को भी भुगतना पड़ा. उधर अमेरिका में भारतीय आम की डिमांड थी, इधर भारत में आम की सप्लाई भी है, तो सवाल उठता है, की क्या हुआ ऐसा, जिसने सप्लाई को डिमांड से मिलने से रोक दिया.


तो दोस्तों, होता क्या था, की भारतीय आमों का एक्सपोर्ट होने के पहले टेस्ट एंड इंस्पेक्शन हुआ करता था, और उसे करने के लिए भारत में आते थे, अमेरिकन एक्सपर्ट. अब कोरोना क्राइसिस के चलते जब हवाई यात्रा बंद हो गयी, तो अमेरिकन एक्सपर्ट भारत आ ही नहीं पा रहे थे.


बिना टेस्ट के तो अमेरिका भारतीय आम इम्पोर्ट करके आफत मोल लेगा नहीं, क्योकि उन्हें डर लगा रहता है, की खाद्य पदार्थों में कोई कीड़े मकोड़े विषाणु पैरासाइट ना हो, जो अमेरिका में भी फ़ैल जाएँ. अमेरिका की चिंता जायज़ भी है, टेस्ट एंड इंस्पेक्शन होना भी चाहिए. विदेशो से इम्पोर्ट होने वाले सामान पर भारत भी मांगता है, ऐसा ही टेस्ट एंड इंस्पेक्शन.


लेकिन किसने सोचा था, की चाइनीस बोतल से ऐसा जिन्न बहार निकलेगा, जो सारी दुनिया को घरो में बंद होने पर मजबूर कर देगा.


इसी बैकग्राउंड में अमेरिकन ट्रेड मिनिस्टर भारत आयी हुई है, तो भारत ने यह मुद्दा सबसे पहले उठा लिया, की बहन जी, हमारी क्या गलती है, यदि आपके एक्सपर्ट भारत नहीं आ पा रहे हैं.


इसलिए अब फाइनली निर्णय हो गया, की अमेरिका जाने वाले आमों का टेस्ट एंड इंस्पेक्शन भारत में ही भारतीय एक्सपर्ट के द्वारा होगा, और उनका जो भी रिजल्ट आएगा, अमेरिका उन्हें स्वीकार करेगा.


वैज्ञानिक तरीके से टेस्ट होना है, अमेरिकी करे या भारतीय. आदमी की नागरिकता से ना तो टेस्ट का प्रोसीजर और ना ही टेस्ट का रिजल्ट बदलेगा.


अब जब भारत के लिए अमेरिका अपने नियम कायदे बदल रहा है, तो भारत भी अमेरिका को ऐसी ही सुविधा दे रहा है,, मतलब हम भी अब अमेरिकन एजेंसिओं के टेस्ट सर्टिफिकेट को मान्यता देंगे.


इस प्रकार होगा क्या, कोरोना आये या कुछ और आये, भविस्य में टेस्टिंग प्रोसीजर के कारण व्यापार को रोकना नहीं पड़ेगा. भारतीय आम अमेरिका जा पाएंगे, तो अमेरिकन चेरी भारत में आ पायेगी.


अमेरिकन ट्रेडर मिनिस्टर ने एक बात और कही, जो हमें बेहद अच्छी लगी, उन्होंने कहा, की अमेरिका भारत के प्रति अपना रवैया बदल रहा है.


अब ऐसा नहीं होगा, की इस हाथ दे, उस हाथ ले, एक का नुकसान तो दूसरे का नफा. खींच तान नहीं होगी, अपना अपना स्वार्थ साधने के बजाये मिलकर दोनों पक्षों के हितों की रक्षा की जाएगी. 


और आपसी व्यापार को बढ़ाने के लिए ऐसे ऐसे नए तरीको को ईजाद किया जायेगा, जिन्हे जनता किसानो और व्यापारियों का भी समर्थन मिले, और तो और जहाँ सहमति हो, वहां आगे बड़ो, जहाँ असहमति हो वहां बातचीत करो.


जहाँ तक ग्लोबल सप्लाई चैन का सवाल है, तो अमेरिकन मंत्री को इस बात का अहसास है, की सप्लाई चैन अभी पूरी तरह से सिंगल सोर्स यानि की चीन पर निर्भर है, और कोरोना ने सबकी झक्की खोल दी है, की सप्लाई चैन इतनी लचीली और मजबूत होनी चाहिए ताकि भविस्य में कोई वायरस उसे चौक ना कर पाए.


यदि अमेरिकन ट्रेड मिनिस्टर की कथनी और करनी एक जैसी रही, तो कोई आश्चर्य नहीं होगा, की ट्रम्प साहब के ज़माने में आपसी व्यापार में आयी खटास दूर होने के साथ साथ दोनों देशो के बीच व्यापार फलेगा भी और फूलेगा भी .

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