जलने वाले जलते रह गए
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India could export six million T sugar despite WTO ruling: Trade officials
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Reference -
हमने समय समय पर कवर किया हुआ है, की किस प्रकार ब्राज़ील में शक्कर का प्रोडक्शन कम होने से ग्लोबल मार्किट में शक्कर के दाम आसमान छूने लगे, परिणामस्वरूप जिन देशो को भारत की शक्कर कुछ साल पहले तक महगी लगती थी, वह तक भारत से भर भर के शक्कर खरीदने लगे. इस प्रकार भारत की हो गयी चांदी.
लेकिन दुनियां में जलने वालों की कहाँ कमीं है, ब्राज़ील ने ऑस्ट्रेलिया और गौटेमाला के साथ मिलकर साल 2019 में भारत के खिलाफ केस दायर कर दिया, की भारत अपने गन्ना किसानो और शुगर मिल्स को लाभ पहुंचने की गैरकानूनी कोसिस कर रहा है.
हालाँकि यह बात सही है, की भारत अपनी शक्कर एक्सपोर्ट कर सके, इसके लिए मोदी सर्कार एक्सपोर्ट सब्सिडी दिया करती थी, और गन्ना किसानो को खेती में नुकसान ना उठाना पड़े, इसलिए डायरेक्टली अथवा indirectly प्राइस सपोर्ट दिया जाता था.
और यही बात पकड़ ली, वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन ने, परिणाम क्या हुआ, जबकि भारत ने केस में जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया, फिर भी हम केस हार गए.
अब पप्पू पुजारियों को लग सकता है, की मोदी ने देश की लुटिया डुबो दी, किसानो के हितों की रक्षा नहीं कर पाए.
लेकिन अब आप गौर से सुनिए, भारत WTO में केस जरूर हारा है, लेकिन वह अब फिर से अपील करने वाला है, क्योकि हमारे हिसाब से ब्राज़ील और ऑस्टेलिया से हमारा केस समझने में दिक्कत हुई है, साथ में WTO का आदेश भी भारत के साथ अन्याय करता है.
जबकि WTO में केस की लड़ाई अभी और भी चलने वाली है. इसी बीच भारत ने इस साल से एक्सपोर्ट सब्सिडी ख़तम कर दी है, ताकि WTO की आँखों से किरकिरी निकल जाये.
आपको यह लग सकता है, की भारत ने तो केस में अपील करने के पहले ही WTO के सामने हथियार डाल दिए.
लेकिन अब आप सुनिए अच्छी खबर, ब्राज़ील भले ही जितने चाहे उतने केस दायर कर दे, वह अचानक से अपना शुगर प्रोडक्शन तो बड़ा नहीं सकता. इसलिए ग्लोबल मार्किट में शक्कर की कीमतें अभी भी पिछले साढ़े चार सालों के अपने उच्चतम स्तर पर हैं.
इसलिए सही मायनो में देखा जाये, तो भारत को इंडियन टैक्स payer के पैसे एक्सपोर्ट सब्सिडी देने की जरूरत ही नहीं है, अपने आप ही भारत की शक्कर दुनिया वालों को सस्ती लग रही है, तो फालतू में उसे सब्सिडी के जरिये artificially सस्ता बनाने की जरूरत ही नहीं है.
तभी तो एक तरफ भारत WTO में केस हार गया, तो दूसरी तरफ हमने एक्सपोर्ट सब्सिडी भी ख़तम कर दी, फिर भी भारत धड़ल्ले से साठ लाख टन सक्कर विदेशो को बेचने जा रहा है.
मतलब हमें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, वैसे भी कौओ के चाहने से कब जानवर मरा करते हैं. ब्राज़ील और ऑस्ट्रेलिया को जो करना है, वह कर लें, अभी हवा का रुख भारत की तरफ है, इसलिए वह दोनों WTO में जीतकर भी जमीं पर हार गए. और भारत बाजीगर की तरह हारकर भी जीत गया.
दोस्तों, पिछले एक महीने से शेयर मार्किट में चल रही उठापटक में शयाने ट्रेडर्स रोजाना तेजी हो या मंदी दोनों तरफ बुरी तरह से कट रहे हैं, और यह साफ़ साफ़ दिख रहा है, ट्रेडिंग वॉल्यूम में आयी भारी गिरावट से.तो दूसरी तरफ इस पुरे उतार चढ़ाव के दौरान बाजीराव की वेल्थ क्रिएशन स्ट्रेटेजी के बल पर आत्मनिर्भर इन्वेस्टर्स लगातार मुनाफा बाँध रहे हैं.
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