अब भारत नहीं चाइनीस दया का मोहताज
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Vedanta acquires Goa-based nickel and cobalt producer Nicomet
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Reference -
https://www.telegraphindia.com/business/vedanta-acquires-goa-based-nicomet/cid/1844158
https://www.livemint.com/companies/news/vedanta-acquires-nicomet-becomes-only-nickel-producer-in-india-11639991377436.html
वर्तमान और भविस्य में सडको पर इलेक्ट्रिकल व्हीकल ही राज करेंगे, यह बात तो हम सभी को अच्छी लगती है, लेकिन जो बात हम सभी को बेहद बुरी लगती है, वह यह है, की बैटरी और उसको बनाने में काम आने वाली मेटल जैसे की निकल और कोबाल्ट के मामले में हम पूरी तरह से चीन जैसे अपने दुश्मनो पर निर्भर हैं.
और भी दुःख भरी बात यह है, की भारत में निकल और कोबाल्ट का उत्पादन करने वाली एक मात्र कंपनी निकोमेट कई सालो पहले बंद हो गयी. जिन कंपनियों ने भारत का भविस्य बनाना था, वह खुद दिवालिया हो गयी, बैंको ने इस बंद पड़ी कंपनी को नियंत्रण में ले लिया.
जब इस कंगाल हो चुकी कंपनी के भविस्य का कोई अता पता तक नहीं था, तभी भारत सर्कार ने इलेक्ट्रिकल व्हीकल और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग को भारत में ही बढ़ाने के पीछे अपनी पूरी तागत झोक दी.
परिणाम क्या हुआ, निकोमेट जिसके पास निकल और कोबाल्ट का उत्पादन करने की छमता है, उस पर नजर पड़ी वेदांता के अनिल अग्रवाल साहब की.
कोयले के ढेर में हीरा ढूडने की अनिल अग्रवाल साहब की महारत से तो दुनिया वाक़िफ़ है. वैसे भी हीरे की क़द्र पारखी नजर ही कर सकती है.
फिर क्या था, कंगाल हो चुकी कंपनी का कायाकल्प हो गया, जब वेदांता ने इस बंद पड़ी कंपनी को खरीदकर उसमे जान फूंक दी.
चूँकि वेदांता के पास पैसो की कोई कमी नहीं है, इसलिए वह निकोमेट में और निवेश करके उसे अपने पांव पर खड़ा करने में कामयाब होगी ही होगी, ऊपर से मोदी जी की योजना के मुताबिक यदि भारत में बैटरी मैन्युफैक्चरिंग बड़ी, तो निकल और कोबाल्ट की जरूरत जोर पकड़ेगी ही पकड़ेगी
मतलब साफ़ है, एक बार फिर वेदांता के अनिल अग्रवाल साहब मौके पर चौका मारते हुए नजर आ रहे हैं, और लगे हाथों एक बंद पड़ी कंपनी को जीवनदान भी मिल गया. बैंको को उनके कर्जे की उगाही की संभावनाएं भी दिखाई देने लगी.
इस प्रकार वेदांता जो आज भारत की एक मात्र निकल और कोबाल्ट Producing कंपनी बन गयी है, उसने उन लोगों के जीवन में ऊर्जा भर दी है, जिन्हे कभी निकोमेट में रोजगार मिला करता था.
मोदी जी को दिन रात कोसने वाले सायद ही कभी इस सवाल का जवाब देंगे, की यदि मोदी जी बैटरी मैन्युफैक्चरिंग को बल नहीं देते, तो क्या निकोमेट के कर्मचारियों और मजदूरों के घरों का चूल्हा जल पाने की आज सम्भावना जग पाती.
हमें कोई उम्मीद नहीं है इन पप्पू पुजारियों से, वैसे भी अपने देश को नीचा दिखाकर खुद को ऊँचा समझने की गलतफहमी हमारे देश के बहुत से लोग सदियों से पाले हुए हैं.
लेकिन आज बधाई के सबसे बड़े पात्र आप सभी है, क्योकि कई सालो से आपने यह आग्रह किया था, की बैटरी को चीन से इम्पोर्ट करने के बजाये हमें उसका अपने यहाँ ही उत्पादन करना चाहिए.
आपकी मांग पर मोदी जी ने अमल किया, और आज आप कमाल देख रहे हैं, जब कंगाल हो चुकी कंपनी का कायाकल्प हो चूका है, इतिहास गवाह है, वेदांता के अनिल अग्रवाल साहब के हाथ में ही पारस पत्थर लगा हुआ है, वह यदि लोहा छु दें, तो वह सोना अपने आप बन जाता है.
देख लीजिये मोदी जी की मेहनत का अनिल अग्रवाल साहब ने कैसे लाभ उठाया, ठीक वैसे ही मोदी जी की मेहनत से लगने वाले फलों पर आपका और सिर्फ आपका हक़ है. बस अपना अधिकार लेने के लिए आपको सही लाइन में समय पर लगना होगा.
इसलिए हम महीनो से आपसे आग्रह कर रहे है, की आत्मनिर्भर इन्वेस्टर कोर्स में शामिल हो जाएँ, एक बार यह कोर्स पूरा कर लीजिये, फिर जिंदगी भर बैठे बैठे इस कोर्स की फसल काटना आप आराम से.
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