देने वाला जब भी देता, देता छप्पर फाड़ के
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Vedanta to put Rs 60,000 crore into semiconductors
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Reference -
http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/88464008.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst
अभी कुछ ही दिन तो हुए हैं, जब भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर की फील्ड में 76 हज़ार करोड़ की PLI स्कीम का ऐलान किया.
और फिर हमने चर्चा भी करी थी, की वेदांता के अनिल अग्रवाल साहब ने गोवा में बंद पड़ी एक ऐसी कंपनी खरीद ली, जिसके पास निकल और कोबाल्ट प्रोडक्शन कैपेसिटी है.
और उस दिन हमने चर्चा भी की थी, अनिल अग्रवाल साहब के हाथ में पारस पत्थर पिट है, कबाड़ का कायाकल्प करने वाले जादूगर हैं वह.
इसी का एक जीता जागता उदहारण अब आप सुनिए, आपका दिल खुस ना हो जाये ,तो कहना आप.
साल 2017 की बात है, वेदांता ने जापान की एक और कंगाल कंपनी खरीद ली, जिसे गिलास सब्सट्रेट का उत्पादन करना आता है, और तभी से वेदांता के अनिल अग्रवाल साहब उसे लेकर चुपचाप बैठे हुए थे.
लेकिन अब आप PLI स्कीम, निकल कोबाल्ट और गिलास सब्सट्रेट प्रोडक्शन इन तीनो डॉट्स को कनेक्ट करें तो आपका दिमाग खुल जायेगा.
क्योकि वेदांता ने कर दिया है ऐलान, की वह साठ हज़ार करोड़ रुपयों का निवेश करके डिस्प्ले गिलास और चिप फेब्रिकेशन प्लांट लगाने जा रही है, जो की साल 2024 से उत्पादन चालू कर देगा.
इस प्लांट से होने वाला 80% प्रोडक्शन भारत की जरूरत को पूरा करेगा, और शेष 20 प्रतिशत एक्सपोर्ट कर दिया जायेगा.
इस प्लांट के लिए भारी भरकम निवेश की जरूरत होगी ही होगी, तो एल्युमीनियम सिल्वर जिंक के किंग वेदांता के पास कौन सी पैसों की कमी है. पैसों की कमी हो ना हो, अग्रवाल साहब को पैसा उगाना आता है.
और जब मोदी जी ने PLI स्कीम के माध्यम से 76 हज़ार करोड़ का हाथ अनिल अग्रवाल साहब के सर पर रख दिया है, उन्हें 60 हज़ार करोड़ जुटाने में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए.
हाँ, पार्टनरशिप कैसी होगी, कितना कर्जा उठाना पड़ेगा, कौन निवेश करेगा, यह सब डिटेल्स तय होने में समय लगेगा, लेकिन वह सिर्फ औपचारिकता मात्र होगी.
जहाँ तक टेक्नोलॉजी का सवाल है, वेदांता ने ताइवान की TSMC और फोक्सकोन, कोरिया की LG और सैमसंग, जापान की शार्प के साथ भी बातचीत चालू कर दी है.
इस पुरे के पुरे सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को खड़ा करने के लिए वेदांता को ढाई सौ से लेकर चार सौ एकड़ जमीं चाहिए होगी, इसलिए वह राज्य सरकारों से भी इस बारे में डिस्कशन चालू कर चुकी है, जाहिर है, जो राज्य सरकार वेदांता को सबसे आकर्षक ऑफर देगी, वेदांता अपना खूंटा उसी राज्य में गाड़ेगी.
पहले टाटा ग्रुप और अब वेदांता ग्रुप का सेमीकंडक्टर की फील्ड में उतरना शुरुआती रूप में दिखलाता है, की सेमीकंडक्टर PLI स्कीम के रूप में मोदी जी का तीर बिलकुल निशाने पर लगा है.
लेकिन अब आप पूछ सकते हैं, की जब पूरी की पूरी नई सेमीकंडक्टर industry खड़ी हो रही है, तो हमें इसका डायरेक्ट एंड फ़ास्ट लाभ कैसे हो सकता है.
तो दोस्तों, इस सेक्टर में काम करने वाली अच्छी कंपनियों की पहचान करने और सस्ते दाम पर उन्हें बिलकुल मौके पर खरीदने के लिए आपको हांसिल करना होगी फंडामेंटल एंड टेक्निकल की कला.
यदि आपको रूचि है कुछ नया ऐसा सीखने में, जो की आपके जिंदगी भर काम आये, तो आपका स्वागत है, भारत के सर्वशेष्ठ आत्मनिर्भर इनवस्टर कोर्स में.
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