मोदी जी ने सऊदी अरब से बदला लिया


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  OPEC's share of Indian oil imports falls to lowest in at least 15 yrs

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Reference -

https://www.nasdaq.com/articles/opecs-share-of-indian-oil-imports-falls-to-lowest-in-at-least-15-yrs

जो देश भारत की बात नहीं मानते, उन्हें अपनी गुस्ताखी की अब कीमत भी चुकानी पड़ती है.


यही बात सिद्ध हो जाएगी यह आँकड़े देख कर, दुनिया के तीसरे सबसे बड़े आयल इम्पोर्टर यानि की हमारे देश भारत के आयल इम्पोर्ट में साल दर साल 4 % की रफ़्तार से बढ़ोतरी हो रही है.


लेकिन Organization of the Petroleum Exporting कन्ट्रीज यानि की ओपेक कन्ट्रीज से किये जाने वाले इम्पोर्ट में आ गयी है, पिछले पंद्रह सालों की सबसे बड़ी गिरावट.


साल 2008 में जहाँ भारत ने इन देशो से अपनी जरूरत का 87 प्रतिशत आयल इम्पोर्ट किया था, वही अब इंडियन इम्पोर्ट गिरकर 70 % हो गया है.


ओपेक देशो के इस नुकशान का लाभ मिला, अमेरिका और कनाडा जैसे देशो को.


लेकिन साथ में भारत अब ओपेक के देशो को और भर भर के धंधा नहीं दे रहा है, सऊदी अरब जिसने भारत से वादा किया था, की वह कच्चे तेल की कीमतों को काबू में रखेगा, वह अपनी बात से पलट गया, फिर क्या था, भारत ने भी सऊदी अरब का स्थान पलट दिया, सऊदी अरब की जगह इराक से सबसे अधिक मात्रा में कच्चा तेल खरीदना चालू कर दिया. मतलब साफ़ है, मोदी जी गलती माफ़ नहीं करते हैं. बोले तो टिट फॉर टेट


आपको सायद पता हो, ओपेक देशो से भारत की कच्चे तेल की खरीद में आयी कमी का एक प्रमुख कारण यह भी है, की अमेरिकन प्रतिबंधों के कारण भारत ने ओपेक सदस्यों ईरान और वेनेजुएला से कच्चा तेल खरीदना बंद सा कर दिया है.


जबकि भारत लगातार इलेक्ट्रिक व्हीकल, इथेनॉल, सौर ऊर्जा के ऊपर अपनी निर्भरता को बड़ा रहा है, लेकिन कुल मिलाकर हमारी ऊर्जा की जरुरत इतनी तेजी से बढ़ रही है, की साथ में हमारे कच्चे तेल का इम्पोर्ट भी बढ़ाना पड़ रहा है.  अच्छी बात यह है, की अब हम अपने पास कच्चे तेल के साथ ऊर्जा के अन्य विकल्प भी विकसित कर रहे हैं. जो की आगे आने वाले एक बेहतर भविस्य का संकेत है.


इसी बीच दोस्तों, विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर मार्केट में थोक में बिकवाली चालू कर दी है,  वह ऐसे बेच रहे हैं, जैसे उन्हें कल का कोई डर सता रहा है. 


लेकिन दोस्तों, हमेशा की तरह भारत में हमारा भरोसा अटल है, और सभी आत्मनिर्भर इंवेस्टर एक बार फिर गिरावट के दौरान अच्छा माल सस्ते दाम पर खरीदने के मौके तलासने लगे हैं.


वैसे भी गिरावट आने के पहले आत्मनिर्भर इन्वेस्टर्स ने प्रॉफिट प्रोटेक्ट कर लिया, इसलिए अब वह भरी हुए बन्दूक लिए बैठे हैं, बस चार्ट पर संकेत मिलते ही फायर खोल दिया जायेगा.


आत्मनिर्भर इन्वेस्टर्स की तरह मार्केट के उतार चढ़ाव का आनंद लेने के लिए आप भी शामिल हो जाएं, आत्मनिर्भर इंवेस्टर कोर्स में, गौर से सुनियेगा अब, जनवरी महीने में बचे हैं दस दिन, साथ में कोर्स के जनवरी बेच में भी बची है मात्रा दस सीट्स.


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