दो साल पहले बोया गया बीज आज बना बरगद
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Reference -
https://udaipurkiran.com/titagarh-wagons-surges-as-its-arm-bags-order-worth-around-rs-2380-crore/
हमारा देश कितना अजीब है, एक तरफ हमारे देश के जो लोग अडानी अम्बानी को गलियां देते हैं, वही लोग दिन रात टेस्ला के मालिक मस्क साहब को मस्का लगाते रहते हैं.
पुरे देश की मीडिया महँगी टेस्ला कार के इंतजार में दिन रात दुबली पतली हो रही है, लेकिन किसी को फुरसत नहीं है, की उन भारतीय कंपनियों को कवर करें की, जो की विदेशी मार्किट में भारत का झंडा बुलंदी पर लहरा रही है.
आज हम बात करेंगे, टीटागढ़ वैगन की, यह एक ऐसी इंडियन प्राइवेट कंपनी है, जो की रेलगाड़ी और मेट्रो ट्रैन के डब्बों का निर्माड करती है.
दो साल पहले इस कंपनी ने इटली में एक कंपनी को खरीद लिया, और तब उम्मीद की गयी थी, की वह दिन दूर नहीं है, जब टीटागढ़ वैगन भारत में बने डब्बे इटली को एक्सपोर्ट करेगी, मेक इन इंडिया फॉर the वर्ल्ड करेगी.
दो साल पहले जिस बीज को बोया गया था, आज उसी बीज ने बरगद का रूप ले लिया है, क्योकि टीटागढ़ बैगन ने इटली में जीता है, 2380 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट जिसके अंतर्गत टीटागढ़ बैगन को अगले दस सालों तक व्यापार मिलता रहेगा.
इस कॉन्ट्रैक्ट के अंतर्गत टीटागढ़ बैगन इटली को सप्लाई करेगी 38 ट्रैन सेट्स, साथ में उनके रिपेयर एंड मेंटेनेंस का काम भी टीटागढ़ बैगन ही सम्हालेगी.
देख लीजिये अब आप खुद, कभी मेट्रो ट्रैन के डिब्बे इम्पोर्ट करने वाला भारत आज उन्ही मेट्रो ट्रैन के डब्बों को यूरोपियन इटली में एक्सपोर्ट करेगा.
यह बात और है, जब भारत मेट्रो ट्रैन के डब्बे इम्पोर्ट करता था, तो उनकी चर्चा पूरी मीडिया में की जाती थी, लेकिन अब जबकि भारत मेट्रो ट्रैन के डब्बे एक्सपोर्ट कर रहा है, तो इस बात की कोई चर्चा करना तक पसंद नहीं करता है.
टेस्ला का इंतजार करने से हमारी मीडिया को फुर्सत मिले तो वह टीटागढ़ बैगन की उपलब्धियों को कवर करने का समय निकल पाए.
इसी बीच दोस्तों, आज शेयर मार्किट में मातम का माहौल था, सब लोग ऐसे बेच रहे थे, जैसे उन्हें बेचने का दोबारा मौका नहीं मिलेगा. Dow दादा डेढ़ सौ साल पहले कह गए थे, की मार्किट में यही चाल रहती है, जब खरीदना है तो सबको खरीदना है, जब बेचना है तो सबको बेचना है.
लेकिन इस दौरान आत्मनिर्भर इन्वेस्टर्स डर और घबरा नहीं रहे है, क्योकि उनकी नजर है, कैंडल चार्ट पर, जैसे ही कैंडल चार्ट पर मजबूती का पहला संकेत मिलेगा, वह बाजीराव की वेल्थ क्रिएशन स्ट्रेटेजी के बल पर अच्छा माल सस्ते दाम पर बटोरना चालू कर देंगे.
यदि आपको भी यही करना है, तो आपको आना ही चाहिए, टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस की कला, जिनके आभाव में कहीं ऐसा तो नहीं की आप एक अनपढ़ इन्वेस्टर बने रह जाएँ.
दोस्तों ध्यान दीजिये, अनपढ़ इन्वेस्टर वह होते हैं, जो 18 हज़ार की निफ़्टी पर लौ क्वालिटी माल भर भर के खरीदते रहे, और अब 17 हज़ार की निफ़्टी पर पैसे के साथ साथ रातों की नींद और दिन का चैन गँवा रहे हैं.
इसलिए यदि मुनाफा कमाते हुए आपको मार्किट में उतार चढ़ाव का आनंद लेना है, तो बन जाएँ अनपढ़ इन्वेस्टर से आत्मनिर्भर इन्वेस्टर. भविस्य में जब भी आत्मनिर्भर इन्वेस्टर कोर्स के बैच ओपन होंगे, तो ज्वाइन कर लीजियेगा, साथ में यह बात हमेसा याद रखिये, आत्मनिर्भर इन्वेस्टर कोर्स को जितने जल्दी ज्वाइन करेंगे, उतने ज्यादा फायदे में रहेंगे.
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