लक्ष्मी जी ने किया भारत के माथे पर तिलक
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Reference -
https://www.thehindubusinessline.com/economy/agri-business/india-may-export-record-65-million-tonnes-of-wheat-this-fiscal/article64940251.ece
https://economictimes.indiatimes.com/news/economy/foreign-trade/indias-wheat-exports-could-quadruple-to-8-year-high-as-global-prices-rally/articleshow/86808292.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst
दोस्तों, गणतंत्र दिवस के इस पावन पर्व पर हम लेकर आये है, एक ऐसी खबर जिसे सुनकर आपको पक्के से प्रसन्नता होगी.
बात है साल 2013 की जब भारत ने पिछली बार सबसे अधिक गेंहू का एक्सपोर्ट किया था, और तभी से भारत से होने वाला गेंहू का एक्सपोर्ट कम होता रहा था.
एक तरफ एक्सपोर्ट में कमजोरी थी, वही दूसरी तरफ लोकल प्रोडक्शन जोरों पर हो रहा था, परिणामस्वरूप हमारे खाद्यान्न भंडार भरे पड़े थे. इसलिए हमेशा यह जरूरत महसूस की जाती रही, की भारत से होने वाला गेंहू का एक्सपोर्ट बढ़ना चाहिए.
इसी बीच, पिछले साल दिसंबर महीने तक भारत 4.5 मिलियन टन गेंहू का एक्सपोर्ट कर चूका है, क्योकि दुनिया भर में गेंहू महगा हो रखा था, इसलिए सबको भारतीय गेंहू की याद अचानक से आने लगी. हमारे आस पास के देश साउथ एशिया और साउथ ईस्ट एशिया के देशो जैसे की फिलीपीन्स, श्री लंका और बांग्लादेश ने भारत से बड़ी मात्रा में गेंहू ख़रीदा है.
यह तो हो गयी बीती बात, अब सुनिए आप ध्यान से, क्योकि हर साल जनवरी और अप्रैल के बीच ही तो भारत हर साल भर भर के गेंहू एक्सपोर्ट किया करता था. इसलिए तो गेंहू के एक्सपोर्ट में असली रंगत तो अभी आना बाकि है.
आपको तो पता है, थोड़े से दिनों में गेंहू की फसल पकने वाली है, जब भारत की नई फसल आएगी, तो दुनिया में नयी गेंहू की काफी डिमांड होती है, एक यह फैक्टर तो हमारे पक्ष में काम कर रहा है, वैसे यह तो हमेसा से हमारे फेवर में था ही.
लेकिन इस बार रूस उक्रैन विवाद के चलते यह डर जताया जा रहा है, की शिपिंग चार्जेज दुनिया भर में बढ़ जायेंगे, यदि शिपिंग चार्ज बड़े तो भारत के आस पास के देशो को दूर दराज के देशो से गेंहू मंगाना महंगा पड़ जायेगा, क्योकि अधिक ट्रांसपोर्ट कॉस्ट किसी को हज़म नहीं होती है.
कहने का मतलब यह है, की यह फैक्टर तो अचानक से हमारे फेवर में आ गया.
अरे यह फैक्टर जब हमारे पक्ष में था भी नहीं, तब भी US डिपार्टमंट of एग्रीकल्चर ने अनुमान लगाया था, की भारत इस साल ऐतिहासिक 6.5 मिलियन टन गेंहू का एक्सपोर्ट कर ही देगा.
रिकॉर्ड तो टूटना ही टूटना था, रूस उक्रैन विवाद हो या ना हो. लेकिन अब जबकि तना तनी बढ़ रही है तो यदि इसका हमें बैठे बिठाये लाभ मिल रहा है, तो भला हम क्यों माफ़ी मांगे.
लक्ष्मी जी टीका लगाने के लिए तैयार हैं, तो हम मुँह धोने की बातें क्यों करें, दुनिया में शांति रहे, हम तो यही चाहते हैं, लेकिन यदि युद्ध का हमें अपने आप लाभ हो, तो उसका भी स्वागत है.
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