मोदी जी माफ़ नहीं करते, जो होगा, देखा जायेगा
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Reference -
https://kathmandupost.com/money/2022/01/20/no-china-involvement-is-india-s-caveat-for-buying-power-from-nepali-plants
https://www.indiatoday.in/india/story/india-s-stance-on-nepal-boundary-well-known-consistent-unambiguous-embassy-1900527-2022-01-16
कुछ दिनों पहले हमने चर्चा करि थी. की अब नेपाल अपनी जरूरत से अधिक बिजली का उत्पादन कर रहा है, इसलिए इस एक्स्ट्रा बिजली को वह भारत को बेचना चाहता है. ओर नेपाल ने इसके लिए भारत के कई चक्कर भी काटे.
फिर क्या था, भारत का दिल पसीज गया, परिणाम स्वरुप नेपाल और भारत की कंपनियों के बीच एग्रीमेंट भी हो गया, जिसके अंतर्गत ना केवल भारतीय कंपनी ने नेपाली कंपनी में हिस्सेदारी भी खरीदनी थी, साथ में उसने नेपाल की बिजली खरीदने का भी वादा किया था.
लेकिन नेपाल कहाँ सुधरने वाला था, अभी कुछ दिनों पहले नेपाल ने फिर लिपुलेख में भारत के द्वारा किये जारहे रोड कंस्ट्रक्शन का विरोध करना चालू कर दिया.
इसलिए दोस्तों, आप सही कहते हैं, की हमें अपने पड़ोसियों की मदद नहीं करनी चाहिए, क्योकि मौका पड़ते ही यह उसी हाथ को काट लेते हैं, जो उन्हें खाना खिलाता है.
उधर चाइनीस गोद में बैठे नेपाल ने अपना रंग दिखाया, तो इधर भारत ने भी अंगद की तरह अपना पेअर जमीं में रोप दिया है.
अब भारत ने साफ़ साफ़ सब्दो में नेपाल को बता दिया है. की भारत केवल उन्ही नेपाली पावर प्लांट से बिजली खरीदेगा, जिनमे चीन का निवेश ना हो, ओर तो ओर प्लांट में कोई चाइनीस वर्कर भी काम नहीं करने चाहिए.
फिर क्या था, नेपाल के होश उड़ गए, क्योकि नेपाल की जो एक्स्ट्रा कैपेसिटी आयी थी, वह तो चीन की दया का ही परिणाम है, नेपाल को अब दिक्कत आ रही है, की वह ऐसी बिजली कहाँ से लाये जिसके पीछे कोई चाइनीस कनेक्शन ना हो.
फड़फड़ापा हुआ नेपाल अब भारत को पुराने एग्रीमेंट की याद दिला रहा है, तो भारत ने भी कह दिया की हमारी पालिसी भाई सिंपल है, देश हो या विदेश हो, भारत ऐसे किसी भी पावर प्रोजेक्ट से बिजली नहीं खरीदेगा, जिससे indirectly लाभ चीन को पहुंचे.
नेपाल के जरिये चीन को लाभ पहुंचे, भारत यह तो पचा ही नहीं सकता. एक्स्ट्रा नेपाली बिजली भारत ख़रीदे, ओर मलाई उड़ाए चीन, यह तो हो नहीं सकता.
वैसे भी भारत की नीति बिलकुल साफ़ है, हम ऐसे किसी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में चीन के निवेश का स्वागत नहीं करते हैं, ओर इसके लिए आधिकारिक निर्णय बहुत पहले लिया जा चूका है.
इसलिए खिसियानी बिल्ली की तरह खम्बा नोचने के बजाय नेपाल के लिए अच्छा होगा, की भाई, जो एक्स्ट्रा बिजली चीन के मदद से आप उत्पादित कर रहे हो, उसे बेच भी दो चीन को. जमीं में डाल दो, जो करना है, वह कर दो, भारत नहीं खरीदेगा अहसान फरामोश नेपाल की बिजली.
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