मरी हुई फैक्ट्री से होगा ग्लोबल स्टील एक्सपोर्ट
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Reference -
https://www.livemint.com/companies/news/govt-approves-sale-of-neelachal-ispat-nigam-to-tata-steel-long-products-11643620778569.html
https://www.moneycontrol.com/news/business/tata-steel-approved-as-strategic-buyer-of-neelachal-ispat-nigam-ltd-8008631.html
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चलिए अब आज के टॉपिक की बात करते हैं, सायद आपको जानकारी हो, उड़ीसा के कलिंगनगर में लोहे के विशाल भंडार हैं, वहीँ पर टाटा स्टील और जिंदल जैसी कंपनियां स्टील प्रोडक्ट का भर भर के उत्पादन करती है.
लेकिन पड़ोस की एक सरकारी कंपनी नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड घाटे पर घाटा खाती रहती थी, परिणामस्वरूप घाटे से तंग आकर इस कंपनी को मार्च 2020 में बंद करना पड़ा.
ध्यान दीजियेगा आज से पंद्रह सोलह साल पहले यह कंपनी ना केवल भारत बल्कि विदेशी मार्किट को एक्सपोर्ट किया करती थी, पिग आयरन की तो यह सबसे बड़ी इंडियन एक्सपोर्टर थी. वह क्या कारण थे, जिसने इस चालू कंपनी का भट्टा बैठा दिया होगा, हम आज उनमे नहीं जायेगे, क्योकि वह तो आप सभी को पहले से पता होंगे.
परन्तु आज कंपनी फुकी हुई है, सात हज़ार करोड़ का तो कर्जा है इस पर, जमा होते होते घाटा चार हज़ार करोड़ का हो गया है. जब सर्कार में इस कंपनी को अपने दम पर पुनर्जीवित करने की कोई उम्मीद नहीं बची. तब भारत सर्कार ने इसे बेचने का निर्णय लिया.
और अब अच्छी बात यह है, की टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट ने इस बंद पड़ी कंपनी को 12 हज़ार करोड़ में खरीद लिया है. अब टाटा स्टील के पास इसकी मालिकाना 93 फीसदी हिस्सेदारी आ गयी है.
इस कंपनी को बेचने से जो पैसा मिलेगा उसका मुख्या तौर पर उपयोग किया जायेगा कंपनी पर चढ़ा कर्जा उतारने में. इस कंपनी को किस भाव पर ख़रीदा बेचा गया, उससे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है इस कंपनी का फिर से जिन्दा होना.
इसलिए फाइनेंसियल ट्रांसक्शन एक तरफ बड़ी बात यहाँ पर यह है, की अब टाटा स्टील इस मृत पड़ी कंपनी में जान फूकेंगी. इसमें मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जायेगा, वर्किंग और मैनेजरियल कल्चर में आमूल चूल परिवर्तन किया जायेगा.
कहने की जरूरत नहीं है, अब चूँकि टाटा स्टील के पास इस कंपनी की कमान है, इसलिए इसे बैंको से और निवेशकों से पैसा उधार लेने में कोई दिक्कत नहीं आएगी.
सबसे प्रसंसनीय बात यह है, की जब इस प्लांट में फिर से जान फूंक दी जाएगी, तो यह कंपनी पुरे के पुरे इलाके की इकॉनमी में जान डाल देगी, डायरेक्टली एंड indirectly यह कलिंगनगर के हर व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करेगी.
सालों तक चली विक्री प्रक्रिया का सबने विरोध किया, लेकिन मोदी सर्कार लगातार आगे बढ़ती रही, फिर कई कंपनियों ने नीलांचल इस्पात को खरीदने में रूचि दिखाई, और फिर चूँकि सबसे अधिक बोली टाटा ग्रुप ने लगाई, इसलिए पारदर्शी प्रक्रिया के बाद टाटा ग्रुप के हाथ लगी है यह कंपनी.
कुछ दिनों पहले ही तो टाटा ग्रुप को एयर इंडिया के हवाई जहाज उड़ाने का जिम्मा मिला था, और अब टाटा ग्रुप इस स्टील फैक्ट्री की भट्टी में आग फूंक रहा है,
इसलिए तो दोस्तों, हम टाटा ग्रुप के चेयरमैन चंद्रा साहब को सूर्यनमस्कार करते हैं, एक अच्छा लीडर क्या कमाल कर सकता है, इसका उदहारण है चंद्रा शाहब.
पहले एयर इंडिया और अब नीलांचल स्पॉट निगम लिमिटेड टाटा ग्रुप के पास जाकर ना केवल जिन्दा रहेंगे बल्कि प्रॉफिट भी generate करेंगे, हमें इस बात का पूरा विस्वास है.
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