अमेरिका में खिंचा मोदी जी का जलवा
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Cerberus, the top bidder for Yes Bank’s ARC
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दोस्तों, भारतीय सरकारी और प्राइवेट बैंको की बुरी हालत से तो आप परिचित होंगे ही, इन्ही बैंको की लाइन में खड़ा हुआ है, यस बैंक. इतनी बद हालत थी इस बैंक की, की जिन लोगों ने इसमें पैसा जमा कराया था, उन्हें तक पता नहीं था, की पैसा मिलेगा की नहीं, और मिलेगा तो कब तक मिलेगा.
डूबा हुआ कर्जा जिसके ना तो व्याज का पता था और ना ही मूल धन का, अपने साथ में इस बैंक को भी डूबा रहा था, छोटा मोटा नहीं, पचास हज़ार करोड़ का कर्जा डूबा हुआ था इस बैंक का. जब पांव में पत्थर बंधा हो, तो आदमी तैर नहीं पाता, तो यह तो बैंक है,
यहाँ पर हाईलाइट करना जरूरी है, की यह पैसा जो की कर्जे के रूप में अनाप सनाप ढंग से यस बैंक ने बांटा था, वह आम आदमी का ही पैसा था. जो की अब डूब चूका था.
पिछले तीन सालों से RBI और SBI के नेतृत्वा में मोदी सरकार ने इस डूबते बैंक को उबारने की कोसिस चालू की थी. लेकिन फिर भी यह सड़ते हुए कर्जे की समस्या यस बैंक का पीछा नहीं छोड़ रही थी.
इसलिए थोड़े समय पहले उसने निर्णय लिया, की वह इस पचास हज़ार करोड़ के कर्जे को बेच देगी, ताकि पहले तो उसे इस सड़े कर्जे से छुटकारा मिले, बैलेंस शीट की सफाई हो जाये, और साथ में सड़े कर्जे से उगाही की व्यवस्था भी हो जाये.
दूसरे शब्दों में वह यह पचास हज़ार करोड़ के सड़े कर्जे को स्वादिस्ट बनाने की कोसिस कर रही थी, और अब जाके निकल कर आया है, की अमेरिकन दिग्गज सेरेब्रुस कैपिटल मैनेजमेंट ग्रुप जिसे डूबते कर्जे से पैसा उगाने में महारत है, वह इस सड़े कर्जे को खरीदने में रूचि रखता है, और उसने सबसे ऊँची बोली भी लगाई है.
वैसे यह सेरेब्रुस कैपिटल मैनेजमेंट ग्रुप काफी लम्बे समय से भारतीय बेड लोन के मार्किट में उतरना चाह रहा था, उसे तलाश थी सिर्फ एक सुनहरे मौके की, जो अब उसे मिल गया है.
देख लीजिये अब आप, कल तक जिस बैंक के भविस्य पर तलवार लटकी हुई थी, आज उसी बैंक के सड़े कर्जे को खरीदने के लिए खरीददारों की लाइन लगी हुई है.
यस बैंक का सड़ा कर्जा किस भाव में कब तक बिकेगा, उसका जवाब तो समय के पास है, लेकिन अच्छी बात है, जिस कर्जे से अभी दुर्गन्ध के अलावा कुछ नहीं आ रही है, उसके बिक्री भाव का 15 फीसदी हिस्सा यस बैंक को कॅश में मिल जायेगा शुरुआत में ही, ताकि वह उसका इस्तेमाल करके अपनी बिगड़ी बैलेंस शीट की हालत सुधार सके. जैसे जैसे बेड लोन से उगाही होती जाएगी, वैसे वैसे धीरे धीरे 85 फ़ीसदी हिस्सा भी यस बैंक को मिल जायेगा.
यस बैंक की इतनी भयाभय समस्या को सुलझाने की कोसिस अभी चल रही है, उसका परिणाम देखने के लिए हमें इंतजार करना होगा. लेकिन आज हम सिर्फ यह जानते हैं, की कोसिस करने वालों की हार नहीं होती है.
डूबना होता तो यह बैंक कब का डूब चूका होता, वैसे भी अब चूँकि सड़े सर्जे को सवारने वाले सयाने लोग इस समस्या को पैसा देकर खरीद रहे हैं, तो देखना होगा, कहाँ तक सफलता प्राप्त होती है, वैसे भी भागते हुए भूत की लंगोटी भी भली होती है.
इसी बीच दोस्तों, याद रखियेगा, की जिस तरह आदमी रिंग में उतरने से रेसलर नहीं बनता, वैसे ही डीमैट अकाउंट खुलवा लेने से आदमी इन्वेस्टर नहीं बनता, रेसलर और इन्वेस्टर बनने के लिए पड़ना और प्रैक्टिस करना पड़ता है.
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