पहाड़ों से भी ऊँचे निकले मोदी जी के होंसले
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Reference -
https://thefederal.com/news/india-hops-on-to-trains-to-boost-connectivity-to-places-near-china-border/
सायद आपको जानकारी हो, अरुणाचल प्रदेश की सीमा तक चीन ने हाई स्पीड रेल नेटवर्क बिछा रखा है, दूसरे शब्दों में चाइनीस बुलेट ट्रैन सीधी अरुणाचल प्रदेश तक पहुँचती है.
लेकिन चीन के सामने हमारी तैयारी देखिये, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम को अभी तक, जी हाँ, अभी तक हाई स्पीड रेल तो छोड़ दीजिये, सामान्य रेल नेटवर्क तक से नहीं जोड़ा गया है. आप ही बताएं, ऐसे कैसे हम चीन को टक्कर दे पाएंगे?
लेकिन चीन के मुकाबले हमारी इस कमजोरी को मोदी सरकार अब ख़तम करने जा रही है, क्योकि अरुणाचल प्रदेश के तवांग और आलो को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने के लिए सर्वे वर्क युद्ध स्तर पर तेजी से चल रहा है.
और जैसे ही सर्वे ख़तम होगा, उसके बाद भी यह प्रोजेक्ट कितना बड़ा होगा, इसका अंदाज़ा आपको इस बात से लग जायेगा, की इस प्रोजेक्ट की कॉस्ट सत्तर हज़ार करोड़ के आस पास पड़ेगी और इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में सर्वे के बाद छह से सात साल लगेंगे.
सायद आपके ध्यान में हो, जिस तवांग को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने की बात अब की जा रही है, उसी तवांग पर चीन ने 1962 में कब्ज़ा कर लिया था, इसलिए इस लोकेशन का महत्व तो किसी से छुपा नहीं है.
और जनाब अरुणाचल प्रदेश ही क्यों, जल्द ही सिक्किम के नाथू ला को भी रेलवे नेटवर्क से जोड़ा जा रहा है.
सिक्किम हो या अरुणाचल प्रदेश हो, दोनों को ही रेलवे नेटवर्क से जोड़ना एक बहुत ही कठिन प्रोजेक्ट होगा, क्योकि यह पहाड़ी और दुर्गम इलाके हैं, लेकिन मोदी सरकार की इच्छाशक्ति उन पहाड़ों से भी ऊंची है, तभी तो उन्हें काटकर जो रेलवे नेटवर्क तैयार होगा, उसका 80 फीसदी हिस्सा सुरंगो से हो कर गुजरेगा, ताकि बाद में पहाड़ों की उथल पुथल और भूस्खलन के बाबजूद रेलवे कनेक्टिविटी लगातार बनी रहे.
इतने बड़े स्तर पर सोचने के लिए मोदी सरकार को धन्यवाद्. वैसे अभी पाकिस्तानी प्रधान मंत्री चीन गए हुए हैं, इस यात्रा के दौरान चीन और पाकिस्तान दोनों का ही फोकस लद्दाक और कश्मीर पर था, लेकिन इधर अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में तो भारत ने नया मोर्चा ही खोल दिया है.
चीन जिसने अरुणाचल प्रदेश तक हाई स्पीड रेलवे नेटवर्क बिछा रखा है, उसे बड़ा कस्ट होगा, जब तवांग और नाथुला में भारतीय रेल गाड़ी सीटी बजाएगी. फिर जिसको चिल्लाना हो, चिल्लाता रहे, भारत का काम तो हो गया.
राष्ट्रहित में दूरगामी दृस्टिकोंड से सोचने के कारण ही, जिसको बुरा लगता है तो लगता रहे, हम हमेसा मोदी सरकार का साथ देते रहेंगे, आज जो इंफ्रास्ट्रक्चर मोदी सरकार खड़ा करने की सोच रही हैं, वह युद्ध लड़ने में काम नहीं आएगा, वल्कि वह सुनिश्चित करेगा, की हम पर युद्ध थोपने की दुश्मन की हिम्मत ही ना हो.
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