भारत के सितारे बुलंदी पर चमके


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Indian pharma set to gain in North American market

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Reference -

https://www.thehindubusinessline.com/news/indian-pharma-set-to-gain-in-north-american-market/article64996399.ece

भारत को ग्लोबल फार्मा हब कहा जाता है, हम भले ही पूरी दुनिया को दवाएं सप्लाई करते हैं, लेकिन यह बात जमीनी सत्य है, की भारत अपनी अधिकतर दवाओं को बेचने के लिए अमेरिकन मार्किट पर निर्भर है. 


आपको तो पता है, निर्भरता शोषण को जन्म देती है, इसलिए उधर अमेरिका में मांग उठती है, की दवाओं के दाम सस्ते करो, और इधर भारतीय फार्मा कंपनियों के शेयर के भाव अपने आप सस्ते हो जाते हैं, आये दिन अमेरिकन ड्रग रेगुलेटर भारतीय कंपनियों को चेतावनी देता रहता है, दिन रात की चिक चिक है भाई साहब. 


कितना अच्छा होगा, यदि अमेरिका के साथ साथ भारत के लिए कोई बड़ा मार्किट अचानक से खुल जाये, खुल जा सिम सिम हो जाये. बोले तो मजा आ जायेगा.


अमेरिका के ऊपर है कनाडा का मार्किट, जिसका आकार है, 29 हज़ार मिलियन डॉलर, लेकिन भारत महज चार सौ मिलियन डॉलर की दवाएं ही कनाडा को बेच पाता है. मार्किट बहुत बड़ा है, डिमांड भी है, लेकिन फिर भी हम सप्लाई क्यों नहीं कर पाते हैं, सवाल यह है.


बेहद सरल सब्दो में, कनाडा में अभी पेटेंटेड और जेनेरिक दवाओं के दाम लगभग बराबर होते हैं, जब दाम में डिफरेंस नहीं है, तो कोई भला क्यों जेनेरिक दवाएं खरीदेगा. इसी कारण कनाडा के मार्किट में जेनेरिक की तुलना में पेटेंटेड दवाओं का बोल बाला है.


लेकिन यह सब कुछ अब बदलने वाला है, क्योकि कनाडा में आने जा रहा है, नया प्राइसिंग रेगुलेशन, जो की इसी साल जुलाई में लागु हो जायेगा, यह नया रेगुलेटर सुनिश्चित करेगा, की  पेटेंटेड दवाओं की तुलना में जेनेरिक दवाएं सस्ते दाम पर बिकें.  ताकि एक आम कैनेडियन को बाजिव दाम पर दवाएं खरीदने में आसानी हो.


अब आप समझदार हैं, यदि प्राइसिंग रेगुलेटर का डंडा चलेगा, तो जेनेरिक दवाओं के दाम सस्ते होंगे ही होंगे, और यदि दाम सस्ते हुए तो उनकी डिमांड भी बढ़ेगी, और यदि डिमांड बड़ी, तो जेनेरिक दवाओं का एक बड़ा सप्लायर भारत है ही.


एक बार यह प्राइसिंग रेगुलेटर काम करने लगे, फिर तो भारत दवा दवा के कनाडा में अपनी दवाएं बेचेगा.


आपको तो पता है, अमेरिकन मार्किट तो अपनी पॉकेट में है ही, साथ में से नो टू चाइना, चाइना प्लस वन की स्ट्रेटेजी के कारण नई ग्लोबल फार्मा डिमांड अपने आप भारत में आ रही है, और साथ में दवाओं और उनके चूर्ण एपीआई का भारत में प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए मोदी सर्कार ने ताबड़ तोड़ PLI स्कीम लांच की हुई है,


मतलब गेम पहले से ही हमारे पक्ष में सेट था, और अब बैठे बिठाये यह कनाडा से भी खुस खबरि आ गयी है. इसे कहते हैं, सितारे बुलंदी पर चमकना.


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