सात सालों से था इस बात का इंतजार
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Reference -
https://www.reuters.com/business/energy/oil-falls-after-signs-progress-us-iran-nuclear-talks-2022-02-07/
कच्चे तेल की प्राइस रोज पक रही है, इस साल में अभी तक कच्चे तेल की कीमतों में 20 फीसदी का उछाल आ चूका है. वह तो भारत में अभी चुनाव चल रहे हैं नहीं तो अभी तक हमारे यहाँ भी पेट्रोल डीज़ल की कीमतें बेकाबू हो चुकी होती और हम सभी का बजट बिगड़ जाता.
एक तरफ अमेरिका में बिगड़े मौसम के कारण उसका प्रोडक्शन कम हो गया, लेकिन करेला नीम तब चढ़ गया , जब रूस और उक्रैन के बीच युद्ध छिड़ने की आशंका जताई जाने लगी.
एक और कोरोना वायरस से मिली राहत के चलते हो रही इकनोमिक रिकवरी के कारण दुनिया भर में पेट्रोल डीज़ल की डिमांड बढ़ रही है, लेकिन बढ़ती डिमांड के सामने सप्लाई बढ़ना तो छोड़ ही दीजिये, उल्टा सप्लाई घटने के डर से क्रूड आयल की कीमतें उछाल मारने लगी है.
फिर क्या था, बड़े बड़े एक्सपर्ट ऐलान करने लगे, 80 डॉलर पर बैरल का भाव तो भूल जाओ, जल्दी ही क्रूड आयल 100 डॉलर के भी पार होगा.
लेकिन इसी बीच अमेरिका और ईरान के बीच नुक्लेअर डील को लेकर बातचीत चालू हो गयी, और आज बेहद इम्पोर्टेन्ट चरण की बात होने जा रही है, जिसके पहले माहौल बनाने के लिए बाइडेन बाबू ने ईरान को थोड़ी सी राहत भी दे दी है.
दरअसल president बाइडेन महगाई की मार अपने देश में भी झेल रहे हैं, गैसोलीन के दाम बढ़ने से बड़ी महगाई के कारण बाइडेन को दिन में तारे दिखने लगे हैं, इसी साल अमेरिका में भी लोकशभा के चुनाव है, इसलिए लंगड़ा राष्ट्रपति बनने से बचने के लिए बाइडेन बाबू के पास एक ही रास्ता बचा है, वह है ईरान से दोस्ती कर लो.
जैसे ही नुक्लेअर डील को फिर से पुनर्जीवित किया जायेगा, ईरान से कच्चे तेल की बाढ़ आ जाएगी और भारत तो जनाब फिर भर भर के ईरान से कच्चा तेल खरीदेगा.
ईरानियन कच्चे तेल की सप्लाई खुलने की सम्भावना मात्र से कच्चे तेल के भाव में नरमी आना चालू हो गयी, जो एक्सपर्ट कच्चे तेल को 100 डॉलर के पार ले जा रहे थे, उन्होंने अपनी कैलकुलेशन में ईरानियन सप्लाई खुलने को तो शामिल ही नहीं किया था.
इसलिए यदि ईरान और अमेरिका के बीच नुक्लेअर डील होती है, तो वह भारत के लिए एक बहुत ही बहुत ही शुभ संकेत होगा.
उधर कच्चे तेल का भाव गिरा तो इधर पेट्रोल डीजल की कीमतें भी कम हो जाएगी, अब तो हर साल हमारे देश में भी चुनाव है, इसलिए ईरानियन सप्लाई खुलने का लाभ हम सभी तक पहुंचेगा इस बात की सम्भावना बहुत अधिक है.
अरे भाई, पेट्रोल डीज़ल का भाव घटे ना घटे, तो ना सही, अगर वह बढ़ता भी नहीं है, तो वह भी एक स्वागतयोग्य डेवलपमेंट होगा.
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