Russia welcomes Indian Help in Ukraine Crisis
‘Independent and balanced’: Russia welcomes Indian stand on Ukraine crisis
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दोस्तों, जैसा की यूक्रेन से खबरें आ गयी है, पावरफुल पुतिन यूक्रेन में घुस गए हैं. वैसे भी जब पुतिन साहब ने यूक्रेन के इलाकों को आजाद घोसित कर दिया था, तब ही क्लियर हो गया था, की पुतिन साहब ने अपने मोहरे आगे बड़ा दिए हैं, और बाइडेन बातें ही करते रह गए.
वैसे भी बुद्धू बाइडेन ने जो आर्थिक प्रतिबन्ध लगाए वह कुछ काम के नहीं थे, लगे लगाए प्रतिबन्ध को भी दोबारा लगा दो, तो शातिर पुतिन साहब को क्या समझ नहीं आएगा.
जब सामने कमजोर शिकार होता है, तो बूढ़ा शेर भी हमला कर देता है. पिलपिले बाइडेन कमजोर हैं तो पुतिन क्यों हमला नहीं करेंगे. अभी तो प्रेजिडेंट पुतिन यूक्रेन को रोंद रहे हैं, और बाइडेन बाबू सो रहे हैं, आराम से फुर्सत से जब वह उठेंगे तब देश के नाम सन्देश जारी करेंगे.
हालाँकि यह देखना अभी वाकी है, की पुतिन के स्टेप्स के खिलाफ नेटो क्या कुछ करता है, वैसे हमेसा की तरह नल्ले बाइडेन से हमें कोई उम्मीद तो है नहीं. फिर भी अब चूँकि बाइडेन अपने देश में मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहे, तो हो सकता है, लुटती इज्जत को बचाने के लिए वह कुछ साहसिक सा दिखने वाला कोई कदम उठा दें.
लेकिन जबकि बाइडेन यूक्रेन को थाली में परोसकर प्रेजिडेंट पुतिन को पेश कर रहे हैं, तो भारत ने बिलकुल सही किया, जो वह एक नहीं दो दो बार इस पुरे विवाद में अपनी तटस्थ भूमिका बनाये हुए हैं.
और रूस ने भी आधिकारिक रूप से उसका एक बार फिर स्वागत किया है, की भारत ने स्वतंत्र और निष्पक्ष रुख लिया हुआ है. प्रेजिडेंट पुतिन इतने प्रसन्न है, की उन्होंने एक बार फिर अस्वासन दिया है, की भारत और रूस के बीच डिफेंस डील्स और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पहले की तरह चलता रहेगा.
वैसे यह बात भी सही है, की भारत पर अंकुश रखने के लिए सावधान रहते हुए प्रेजिडेंट पुतिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से मुलाक़ात करने जा रहे हैं.
लेकिन पुतिन के इस कदम के पहले से ही भारत की स्थिति बिलकुल स्पस्ट है, की वह ना तो किसी देश पर आर्थिक प्रतिबन्ध लगाता है, ना ही दूसरे देशो के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करता है.
तभी तो भारत क्वाड समूह का एकमात्र ऐसा देश था, जिसने डायरेक्टली रूस के खिलाफ ना तो कुछ कहा, और नाही आर्थिक प्रतिबन्ध लगाए.
भले ही बाइडेन को बुरा लगता रहे तो लगता रहे, दब्बू बाइडेन के सुर में सुर मिलाने से अच्छा है, की भारत अपने स्वार्थ को सर्वोपरि रखते हुए एक सैद्धांतिक भूमिका बनाये रखे.
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