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Modi govt sets up independent Weapon Testing - Certification Agency

 Def Min moves Cabinet to set up independent weapon testing-certification agency https://www.hindustantimes.com/india-news/def-min-moves-cabinet-to-set-up-independent-weapon-testing-certification-agency-101646797604677.html रूस यूक्रेन युद्ध ने अमेरिका से लेकर यूरोप तक सबको समझा दिया है, की आत्मनिर्भरता कोई बिकल्प नहीं मजबूरी है, 1 महीने पहले तक यही देश आत्मनिर्भर भारत अभियान का विरोध किया करते थे, आज वह उसी भारतीय कांसेप्ट को गले लगा रहे हैं, इस प्रकार हमारा भारत बन गया है, अमेरिका और यूरोप के लिए गुरु. लेकिन आत्मनिर्भर भारत अभियान के पैदा होने से बहुत पहले से आपने इस अभियान की मांग और समर्थन किया है, और आज देखिये आपकी मांग पर ही अमल करते हुए भारत उठाने जा रहा है, एक ऐतिहासिक कदम. जी हाँ दोस्तों, अभी यदि किसी भी भारतीय प्राइवेट कंपनी को अपने हथियारों और रक्षा उपकरणों की टेस्टिंग करवानी हो, तो उसे जाना पड़ता है, सरकारी लैबोरेट्रीज और टेस्टिंग रेंज में.  यह हम सभी का कटु अनुभव है, की सरकारी बाबुओ से तो भगवान बचाये, यह भ्रस्ट लोग कलम चलाने के कितने पैसे कमाते हैं,  यह तो किस...

बाइडेन पुतिन की चक्की में मोदी जी फालतू में पिसे

 Will Russia-Ukraine war impact India's defence imports? Delivery of orders worth $9 billion still pending https://www.indiatoday.in/india/story/russia-ukraine-war-india-defence-import-orders-pending-1921374-2022-03-06 दोस्तों, जैसा की रूस यूक्रेन युद्ध धधक रहा है, कोई अंदाज़ा नहीं है, की इस युद्ध में कब क्या होगा?? तब भारत कैलकुलेटर लेकर बैठ गया की यदि यह युद्ध आग खिचता है, और लम्बी अवधि का कनफ्लिक्ट बन जाता है, तो भारत को कहाँ कहाँ कितना कितना नुकसान होगा. पिछले साल हुई थी, भारत और रूस के बीच पहली 2+2 मीटिंग, जिसमे दोनों देशो के रक्षा और विदेश मंत्रियो ने भाग लिया था, और तब दोनों देश इस सहमति पर पहुंचे थे, की अगले दस सालों में भारत और रूस के बीच 9 बिलियन डॉलर यानी की करीब करीब 70 हज़ार करोड़ का रक्षा व्यापर होगा. जिसमे डिफेंस इक्विपमेंट की डायरेक्ट खरीददारी से लेकर जॉइंट डेवलपमेंट और प्रोडक्शन जैसे सभी प्रोजेक्ट शामिल थे. इसलिए जिस प्रकार अफ़ग़ानिस्तान अमेरिका के लिए कुछ दिनों से चालू होकर बीस सालों का युद्ध बन गया, उसी तरह यदि कहीं यूक्रेन में रूस अगले दस सालों के लिए फंस गया, तो क्य...

मोदी जी गुस्ताखी मांफ नहीं करते

India asks Indonesia to raise palm oil supply as prices spike - sources https://www.reuters.com/business/energy/india-asks-indonesia-raise-palm-oil-supply-prices-spike-sources-2022-03-02/  जैसा की हम सभी डिसकस करते रहे है, की रूस यूक्रेन युद्ध की कारण ग्लोबल सन फ्लावर आयल की सप्लाई बाधित हो रही है, और इसके कारण दुनिया भर में खाद्य तेल की कीमतों में उछाल आ रहा है. लेकिन हद तो तब हो गयी, जब इस संकट में सबसे अधिक बाउंस मारा, सबसे सस्ते माने जाने वाले पाम आयल ने, आज वह अपने इतिहास के सबसे उच्चतम स्तर पर बिक रहा था. वक़्त का बदलाव इसे कहते हैं, आज सबसे सस्ता खाद्य तेल सबसे तेज गति से महंगा हो रहा है, पाम आयल में लगी इस आग का जिम्मेदार कोई रूस और यूक्रेन नहीं, बल्कि इंडोनेशिया है. अपने देश में तेजी से बढ़ रही पाम आयल की कीमतों पर लगाम कसने की लिए उसने पाम आयल के एक्सपोर्ट को कम कर दिया. फिर क्या था, सटोरियों को इस बात की भनक लग गयी, डिमांड की सामने सन फ्लावर आयल के साथ पाम आयल की सप्लाई भी कम हो रही है.   और उन्होंने ग्लोबल मार्केट में पाम आयल की प्राइस को बढ़ाना चालू कर दिया. इसस...

दर्द में हुई असली मर्द की पहचान

 Zerodha saw biggest day of stocks bought on Thursday as markets crashed https://www.livemint.com/market/stock-market-news/stock-market-crash-zerodha-saw-biggest-day-of-stocks-bought-on-thursday-11646115811255.html दोस्तों, बात है पिछले गुरुवार की जब हम सभी को पता चला की पुतिन साहब ने यूक्रेन पर धावा बोल दिया. तब चारों से हर दूसरा मुँह तीसरे युद्ध का बिगुल फूंक रहा था. सबके मुँह पर बारह बज रहे थे. कब क्या होगा किसी को पता नहीं था, तब भी हमने आप सभी से आग्रह किया था, की भाई जी यही समय है, भारत में भरोसा अटल रखने का.  तब मातम का ऐसा माहौल था, की निफ़्टी 50 इंडेक्स ने एक दिन में चार से पांच प्रतिशत का गोता खा लिया, विदेशी निवेशक भड़भड़ाने लगे, दाएं देखे ना बाएं, किसी भी दाम पर कोई भी माल पटकने लगे, चारों और पैनिक ही पैनिक था. तब उस दर्द में पहचान हुई मर्दों की, जब उन्होंने चुपचाप अच्छा माल सस्ते दाम पर खरीदना चालू कर दिया. वैसे भी dow दादा तो सौ डेढ़ सौ साल पहले कह गए थे, की जब चारों और डर हो तब खरीदो, और जब हर व्यक्ति लालची बन जाये तब बेचो. लोगों से डर खरीदो और लोगों को लालच बेचो, न...

हौंडा और HPCL ने मचा दी ग्लोबल हलचल

Honda to install battery swapping stations at HPCL retail outlets https://www.livemint.com/auto-news/honda-to-install-battery-swapping-stations-at-hpcl-retail-outlets-11646043503162.html कोई बहुत पुरानी बात नहीं थी, जब बड़ी बड़ी विदेशी कंपनियां अमेरिका और जापान में सबसे पहले अपने नए नए प्रोडक्ट को लांच किया करती थी, यहाँ तक की भारतीय कंपनियां तक विदेशो में लॉच करके ही प्रोडक्ट भारत में लेकर आती थी. क्योकि पहले तो घर की मुर्गी दाल बराबर समझने वाले भारतीयों को विदेशी सामान भाता था, और साथ में कंपनियों को भी भारतीय मार्किट से ज्यादा विदेशी मार्किट लाभकारी प्रतीत होता था. लेकिन वह दिन अब बीती बात हो चुके हैं, क्योकि जापानी कंपनी हौंडा ने अपनी बैटरी शेयरिंग सर्विस का ग्लोबल लांच भारत से ही शुरू किया है. इस बैटरी शेयरिंग सर्विस के अंतर्गत हौंडा ने हाथ मिलाया है HPCL के साथ, HPCL जिसके पेट्रोल पंप पर हम सभी ने पेट्रोल डीज़ल भरवाया है, उसी जगह अब बैटरी शेयरिंग की सर्विस भी उपलब्ध कराएगा हौंडा. इस सर्विस के अंतर्गत शुरुआत में फोकस किया जायेगा, थ्री व्हीलर्स पर, जो की डिस्चार्ज बैटरी के बदले फुल्ली...

भारत को कमाए आम के आम और गुठलियों के भी दाम

  KVIC proposes lifting of ‘export prohibition’ on bamboo charcoal for higher profitability https://www.livemint.com/news/india/kvic-proposes-lifting-of-export-prohibition-on-bamboo-charcoal-for-higher-profitability-11645949816299.html दोस्तों, जैसा की आपको जानकारी है, मोदी सरकार के पहले भारत जिसमे बांस का भर भर के उत्पादन होता है, वह तक बांस का भर भर के इम्पोर्ट करता था. फिर धीरे धीरे कदम उठाये गए, जिसके अंतर्गत बांस के इम्पोर्ट को लगातार हतोत्साहित किया गया. लेकिन फिर भी अगरबत्ती और bamboo क्राफ्ट इंडस्ट्री के लिए भारतीय बांस चाइनीस बांस महंगा पड़ता था. तो आपका बाजिव  सवाल हो सकता है, की आखिर चीन इतने सस्ते भारत की तुलना में मोटा मोटी आधे दाम पर बांस कैसे बेचता है?? दरअसल बांस का केवल बाहरी 16% हिस्सा ही अगरबत्ती और क्राफ्ट इंडस्ट्री में इस्तेमाल किया जाता है, और शेष बचा बांस बेकार ही चला जाता है. मतलब बांस खरीदो पूरा, लेकिन उसका बहुत ही कम हिस्सा काम में आता था, इसलिए कीमत बढ़ जाती थी. तो चालक चीन जो करता था, उसे सुनकर आपको लगेगा की चाइनीस बड़े चालाक हैं. शेष बचे बांस से चीन ब...